अगर कोई भी स्कूल बस या स्कूल टैक्सी 15 साल से पुरानी है तो वह सड़क पर नहीं दौड़ेंगी। हिमाचल प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग ने स्कूल बसों से जाने वाले बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकारी व निजी स्कूलों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत स्कूल बस या स्कूल टैक्सी 15 साल से पुरानी नहीं होनी चाहिए। बस के ड्राइवर के पास भारी वाहन चलाने का 5 वर्ष का अनुभव होना जरूरी होगा और उसकी उम्र 60 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए,
स्कूल बस में ड्राइवर के अलावा एक कंडक्टर भी होगा, जिसके पास हिमाचल प्रदेश मोटर वाहन नियम, 1999 के नियम 22(3) के प्रावधान के तहत वैध लाइसैंस और निर्धारित योग्यता होनी चाहिए।
स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने के लिए उपयोग किए जाने वाले वाहनों में उचित दरवाजा लॉक होना चाहिए और दरवाजे की कुंडी, दरवाजों के ताले और कुंडी काम करने की स्थिति में होनी चाहिए।
इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि एक बार जब कोई बच्चा बस में चढ़ जाए तो दरवाजे ठीक से बंद कर दिए जाएं, बोर्डिंग और डी-बोर्डिंग के लिए बसें स्कूल परिसर के अंदर जानी चाहिए। शाम के समय बच्चों को भीड़-भाड़ वाली व्यस्त सड़क के किनारे नहीं, बल्कि उचित चौड़ी जगह पर उतारना चाहिए। बच्चों को ले जाने वाली बसों, टैक्सी वाहनों में खिड़की में जाली लगी होनी चाहिए।
स्कूल प्रबंधन या वाहन मालिक को स्कूली बच्चों को ले जाने के लिए उपयोग की जाने वाली बसों और टैक्सी में 40 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति सीमा के साथ टैंपर प्रूफ स्पीड गवर्नर की फिटिंग सुनिश्चित करनी होगी। स्कूल बस या टैक्सी में जीपीएस लगाना अनिवार्य होगा और इस प्रणाली की सुचारू रूप से जांच भी करने को कहा गया है।
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