हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र का पहला दिन जहां सवर्ण समाज के लोगों के लिए राहत भरा रहा तो वहीं दूसरी ओर पुरानी पेंशन स्कीम बहाली की मांग कर रहे कर्मचारियों को निराशा हाथ लगी है। क्योंकि सत्र के पहले ही दिन सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने से साफ इंकार कर दिया है। सदन में पूछे गए लिखित सवाल के जबाव में मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करना संभव नहीं है। अगर इसे लागू करते हैं तो इससे सरकार पर सालाना 500 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ पड़ेगा।
बता दें कि प्रदेश में काफी लंबे समय से कर्मचारी और पेंशनर पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं। लेकिन, विधानसभा में पेश लिखित बयान से साफ है कि वर्तमान सरकार आर्थिक बोझ का हवाला देते हुए इस स्कीम को लागू करने से इंकार कर दिया है।
वहीं, सरकार ने लिखित जवाब में बीते 3 सालों में दी गई नौकरियों का भी जिक्र किया। सरकार ने बताया कि 2018 से 2021 के दौरान प्रदेश सरकार ने विभिन्न विभागों में 23,931 नौकरियां दी हैं। आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश के कई विभागों में पद रिक्त हैं और प्रदेश में बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है।
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