Follow Us:

पंजाब की तर्ज पर हिमाचल में भी निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाई जाए रोक: छात्र अभिभावक मंच

पी.चंद |

छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक को लेकर पंजाब सरकार के फैसले का स्वागत किया है। मंच ने हिमाचल सरकार से भी इस फैसले को लागू करने की मांग उठाई है। साथ ही मंच ने चेताया कि अगर प्रदेश में फीस वृद्धि, किताबों और ड्रेस की कमीशनखोरी पर रोक न लगी तो मंच 5 अप्रैल को शिक्षा निदेशालय शिमला पर प्रदर्शन करेगा।

मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा और अन्य सदस्यों ने वर्ष 2022 में फीसों में 8 प्रतिशत फीस वृद्धि और ड्रेस व किताबों की कीमतों में 15 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि की कड़ी निंदा की है और प्रदेश सरकार से इस पर तुरन्त पंजाब सरकार की तर्ज़ पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने के लिए 5 दिसम्बर 2019 के उच्चतर शिक्षा निदेशालय हिमाचल प्रदेश के आदेश को सख्ती से लागू करने की मांग की है। उन्होंने उच्चतर शिक्षा निदेशक से मांग की है कि वह अपने आदेशों को सख्ती से लागू करवाएं ताकि निजी स्कूलों की मनमानी लूट, फीस वृद्धि और गैर कानूनी फीस वसूली पर रोक लगे।

मंच संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि 5 दिसम्बर 2019 को उच्चतर शिक्षा निदेशालय ने निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों की आम सभा की सहमति के बगैर किसी भी प्रकार की फीस वृद्धि पर रोक लगा दी थी। इस आदेश के अनुसार हर वर्ष फीस निर्धारण के लिए निजी स्कूलों में 15 मार्च से पूर्व आम सभाएं आयोजित होनी चाहिए लेकिन 15 मार्च बीतने के बावजूद भी अभी तक किसी भी निजी स्कूल ने आम सभा का आयोजन नहीं किया है।

स्कूलों ने पिछले दो वर्षों में भी कोई आम सभाएं आयोजित नहीं कीं जिसके कारण इन स्कूलों में पन्द्रह से पचास प्रतिशत तक की फीस बढ़ोतरी करके अभिभावकों पर भारी आर्थिक बोझ लादा गया। इस वर्ष भी निजी स्कूल आम सभाएं आयोजित करने में आनाकानी कर रहे हैं। इस से साफ है कि निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय के आदेश को नहीं मानना चाहते। वे एक बार पुनः भारी फीस वृद्धि करके मनमानी फीस वसूलना चाहते हैं। शिक्षा निदेशालय ने भी निजी स्कूल प्रबंधनों के दबाव में अपने ही आदेशों पर चुप्पी साध ली है। इस तरह निजी स्कूलों को मनमानी करने की एक बार पुनः इजाज़त मिल गयी है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार और शिक्षा निदेशालय की नाकामी व उसकी निजी स्कूलों से मिलीभगत के कारण निजी स्कूल लगातार मनमानी करते रहे हैं। स्कूलों ने बड़ी चतुराई से कुल फीस के अस्सी प्रतिशत से ज़्यादा हिस्से को टयूशन फीस में बदलकर लूट को जारी रखा है। इस वर्ष भी आम सभाएं आयोजित न करके वे मनमानी फीसें वसूलना चाहते हैं जिसे अभिभावक कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे और इसके खिलाफ लामबंद होंगे।