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सालभर हुई ऑनलाइन पढ़ाई तो परीक्षा ऑनलाइन क्यों नहीं?

पी.चंद |

कोरोना काल में शीतकालीन सत्र वाले स्कूलों को वार्षिक परीक्षाओं के लिए खोलने का फैसला लिया गया है। प्रशासन और स्कूल प्रबंधनों के इस फैसले पर अभिभावकों ने आपत्ति जताई है। शुक्रवार को सेंट एडवर्ड, सेक्रेड हार्ट और चेल्सी स्कूल शिमला में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों ने छात्र अभिभावक मंच के बैनर तले एडीएम से मुलाकात की। इस दौरान अभिभावकों ने छात्रों की परीक्षाएं ऑनलाइन करवाने की मांग उठाई।

छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने शीतकालीन सत्र के तहत चलने वाले स्कूलों को सिर्फ दस से पन्द्रह दिन के लिए खोलने के निर्णय पर कड़ा विरोध ज़ाहिर किया है और इस पर तुरन्त रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने इसे प्रशासन और स्कूल प्रबंधनों की अपरिपक्वता और संवेदनहीनता करार दिया है। उन्होंने कहा कि जब पूरा वर्ष ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से ही बच्चों ने पढ़ाई की तो फिर वार्षिक परीक्षाएं ऑनलाइन करने में क्या दिक्कत है। इन दस दिनों के बाद स्कूल तीन महीने के लिए बंद रहेंगे तो फिर स्कूल सिर्फ वार्षिक परीक्षाओं के लिए खोलने का क्या तुक बनता है।

उन्होंने कहा कि दस-पन्द्रह दिन की वार्षिक परीक्षाओं के बाद शिमला शहर के स्कूल शीतकालीन अवकाश के कारण फिर से तीन महीने के लिए फरवरी अंत तक बंद हो जाएंगे। शीतकालीन सत्र की वार्षिक परीक्षाएं बिल्कुल शुरू होने की कगार पर हैं अतः केवल वार्षिक परीक्षाओं के लिए स्कूल खोलने का निर्णय अव्यवहारिक और अपरिपक्व है। उन्होंने कहा कि शीतकालीन सत्र व ग्रीष्मकालीन सत्र में समरूपता नहीं है इसलिए सर्दियों में केवल वार्षिक परीक्षाओं के लिए दस से पन्द्रह दिन के लिए स्कूल खोलना तार्किक नहीं है।

विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि कोरोना का संक्रमण शिमला शहर जैसे भीड़-भड़ाके वाले इलाकों में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। जिन स्कूलों में बड़ी कक्षाओं के छात्र पढ़ाई करने के लिए जा रहे हैं, वहां पर कोरोना संक्रमण बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। इन स्कूलों में दर्जनों छात्र कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इस तरह स्कूलों में परीक्षाओं को लेकर अभिभावक व छात्र काफी घबराए हुए हैं। उन्होंने कहा कि जब छात्र और अभिभावक ही स्कूल में परीक्षाओं के लिए तैयार नहीं हैं तो फिर स्कूल प्रबंधन इन परीक्षाओं के संदर्भ में क्यों जबरदस्ती कर रहे हैं।