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हिमाचल में संस्थानों को डी नॉटिफाई करने पर बिफरा विपक्ष: हर्षवर्धन चौहान

पी. चंद |

हिमाचल में कांग्रेस सरकार बने हुए 15 दिन ही बीते है और अभी तक कैबिनेट विस्तार भी नहीं हो पाया है. इससे पहले ही सत्ता पक्ष एवम विपक्ष के बीच तलवारें खींच गई है. सुखविंदर सरकार द्वारा संस्थाओ को बंद करने के फैसले को लेकर भाजपा सड़कों पर है.
विपक्षी दल भाजपा के हमलों के पलटवार के लिए सुखविंदर सिंह के तीन सिपाही सामने आए. सिलाई के विधायक हर्षवर्धन चौहान, जुब्बल कोटखाई के MLA रोहित ठाकुर व कसुम्पटी के विधायक अनिरूध सिंह ने सरकार के बचाव में मोर्चा खोला.
हर्षवर्धन चौहान ने बताया की सुखविंदर सिंह सरकार ने जो फैसले लिए है वह जनहित में लिए है. जय राम सरकार ने 1 अप्रैल 2022 के बाद 900 संस्थान बिना बजट, स्टाफ व मूलभूत सुविधाएं के खोले दिए. जिनको बन्द किया गया है. हिमाचल बिजली बोर्ड में ही 32 संस्थान खोल दिए.
जबकि 40 साल में बिजली बोर्ड में मात्र छ कार्यालय ही खोले गए. ये तब किया जब बिजली बोर्ड 1758 करोड़ के घाटे में है और 8 हजार पद खाली पड़े हैं. यदि ऐसे फैसलों को रिव्यू किया है तो विपक्ष को तकलीफ़ नही होनी चाहिए.
यदि इन संस्थानो को डी नॉटिफाई नही किया जाता तो इनको चलाने पर साढ़े चार सौ करोड़ खर्च होता. हिमाचल पहले ही 75 हजार करोड़ के कर्ज तले दबा हुआ है. जय राम सरकार 5000 करोड़ के देनदरियां छोड़ कर गई है. जय राम सरकार ने रैलियों में ही करोड़ों खर्च कर दिया.
हिमाचल अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड में JOA IT पेपर लीक होने से पहले ही हिमाचल पुलिस ने भंडाफोड़ दिया व पेपर लीक में संलिप्त लोगों को सलाखों के पीछे डाल दिया है. जबकि जय राम ठाकुर को पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में लीपापोती को याद रखना चाहिए. ऐसे में पेपर लीक मामले में जय राम ठाकुर को बोलने का अधिकार नही है.