मैसूर की पद्मा का शिमला के मानसिक स्वास्थ्य और पुनर्वास (HHMHR) में इलाज चल रहा है। पद्मा के बारे में जानना आपके लिए भी बेहद जरूरी है। क्योंकि, मैसूर की इस महिला का शिमला तक पहुंचने की कहानी बेहद दुखद है और हिमाचल के लोगों ने अनजान होने के बावजूद कैसे उसकी मदद की यह सभी को जानना चाहिए। पति ने छोड़ दिया और दूसरी औरत से शादी कर ली। दो साल पहले अपने पति की तलाश में पद्मा घर से निकली और फिर हिमाचल पहुंच गई।
पद्मा की मानसिक हालत ऐसी है कि वह उन पलों को याद भी नहीं कर पा रही, जब वह घर से निकली थी। वह हिमाचल पहुंचने की पूरी दास्तान भी भूल चुकी है। हालांकि, पद्मा के मैसूर स्थित गांव का पता चल चुका है। वह मैसूर जिले के कंपालापुरा गांव की रहने वाली हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने हिमाचल सरकार से पद्मा को वापस भेजने की गुजारिश की है।
मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने मैसूर के डिप्टी कमिश्नर को पद्मा को वापस लाने के लिए निर्देश दिए हैं। मैसूर स्थित पद्मा के गांव वालों का कहना है कि वह पति के छोड़ने के बाद से उदास थी और उसकी तलाश में निकली थी।
हिमाचल में पद्मा को 2016 में कांगड़ा में स्पॉट किया गया। इस दौरान उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी। खराब मेंटल हेल्थ को देखते हुए उसे टांडा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। लेकिन जून 2016 में उसे शिमला के मानसिक स्वास्थ्य और पुनर्वास में भेज दिया गया। इस दौरान भाषा की दिक्कत काफी पेश आई। क्योंकि, उसे हिंदी आती नहीं थी और कन्नड़ भाषा हिमाचल के लोगों के समझ से परे थी। बावजूद इसके हिमाचल आम नागरिक से लेकर अस्पताल ने हर मोड़ पर उसकी मदद की।
शायद यही वजह है कि जब पद्मा को उसके इस पूरे दुखद दास्तान के बारे में पूछा गया, तो उसने हिमाचल के लोगों के प्रति विशेष आभार जताया है। डेक्कन हेराल्ड की पूर्णिमा नटराज से बातचीत में पूर्णिमा ने कहा," हिमाचल में लोग बहुत अच्छे हैं, लेकिन मैं घर जाना चाहती हूं और अपनी मां को देखना चाहती हूं। मेरे पति ने मुझे छोड़ दिया और फिर से शादी की। मैं चन्नापटना बस स्टैंड पर थी। बस स्टैंड में जब दो पुलिसकर्मियों ने मुझे बताया कि वे मुझे घर ले जाएंगे और फिर मैं वहां से शिमला कैसे पहुंची इसकी जानकारी नहीं है।
पद्मा का कहना है कि हिमाचल में लोगों ने उसे हर मोड़ पर मदद की। भाषायी दिक्कत के बावजूद उसे सहारा दिया गया। वह लोगों के प्यार और स्नेह को नहीं भूल सकती। हालांकि, दिल्ली स्थित स्वाती चंद्रशेखर नाम के पत्रकार की इनकी पहचान को उजागर करने अहम भूमिका रही है। स्वाती ने ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री से मिलकर स्वाती को वापस मैसूर बुलाने और मानसिक उपचार के लिए आग्रह किया था।
उधर, मैसूर के डीसी अभिराम शंकर ने कहा कि शिमला के जिस अस्पताल में पद्मा एडमिट है… वहां के अधिकारियों के संपर्क किया जा चुका है। उन्होंने पदमा की मैसूर वापसी और उनके इलाज के लिए व्यवस्था की है। हमारी टीम पद्मा को वापस मैसूर लाने के लिए तैयार है। मंगलवार को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को एक प्रस्ताव भेजा है। मुख्यमंत्री कार्यालय इस मुद्दे का भी उत्सुकता से पालन कर रहा है। अब पद्मा के साथ-साथ इस मुहिम से जुड़े दूसरे लोगों को भी उसके घर जाने और मां से मिलने का इंतजार बेसब्री से है।