मंडी जिला की सुंदरनगर तहसील में जहरीली शराब पीने से हुई मौतों के मामले में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को बड़ी कामयाबी मिली है। एसआईटी ने जहरीली शराब बनाने वाले सरगना को गिरफ्तार किया है। वह अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर हमीरपुर में नकली शराब की फैक्टरी चला रहा था। सरगना की पहचान गौरव मिन्हास उर्फ गोरू निवासी पंचरूखी जिला कांगड़ा के रूप में हुई है।
एसआईटी ने उसे हरियाणा के जीरकपुर में धर दबोचा। गौरव अपने साथी प्रवीण ठाकुर की मिलीभगत से हमीरपुर में शराब की अवैध बोटलिंग यूनिट चला रहा था। प्रवीण ठाकुर हमीरपुर का ही रहने वाला है। इस यूनिट में बोतलों को तैयार करने और पैकिंग के लिए कच्चा माल अलग-अीलग राज्यों से लाया जाता था। दिल्ली का सागर सैनी जहां अवैध शराब फैक्टरी के लिए स्पिरिट व ड्रम सप्लाई करता था।
वहीं जम्मू-कश्मीर के सांबा निवासी एके त्रिपाठी ने जहरीली शराब का फार्मुला तैयार किया था। सरगना के कब्जे से अहम डायरियां, कुछ मात्रा में शराब और नकदी बरामद हुई है। इस मामले के एक फरार आरोपी नरेंद्र उर्फ कालू निवासी ग्राम मलोह की गिरफतारी के बाद एसआईटी के पास अहम सुराग मिले और सरगना व उसके साथियों को पकड़ने का जाल बिछाया गया। दरअसल पूछताछ में नरेंद्र ने सरगना गौरव का राज खोला था।
एसआईटी ने खुलासा किया कि यूपी के रहने वाले दो शख्स हमीरपुर में अवैध शराब की फैक्टरी का संचालन करते थे। फैक्टरी में हमीरपुर के एक कबाड़ी से खाली बोतलें मंगवाई जाती थीं। इसके अलावा बक्से और कार्टन सहित अन्य पैकिंग सामान परवाणु से आता था। अंबाला के सागर सैनी ने स्पिरिट के 25 ड्रमों की सप्लाई की थी। फैक्टरी में स्टिकर्स को एक ग्राफिक डिजाइनर से डिजाइन करवाया गया था। बॉटलिंग संयंत्र के उपकरण चंडीगढ़ से खरीदे गए थे।
डीजीपी संजय कुंडू ने बताया कि एसआईटी ने बेहतरीन कार्य करते हुए 72 घंटों में इस तरह के संगठित गिरोह को बेनकाब किया है। इसके लिए उन्होंने एसआईटी के सदस्यों को बधाई दी। गौरतलब है कि सुंदरनगर में जहरीली शराब पीने से बीते दो दिन में सात लोगों की मौत हो चुकी है। सरकार और प्रशासन ने मृतकों के परिवार को आठ-आठ लाख रुपये मुआवजा देने का निर्णय लिया है। इसके अलावा 50-50 हजार रुपये मौके पर फौरी राहत प्रदान की गई है।