पांवटा साहिब की बेटी ने माउंट एवरेस्ट फतह कर रचा इतिहास
राष्ट्रीय कबड्डी गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं यह पर्वतारोही युवती
शहर में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ नारों के साथ हुआ भव्य स्वागत
राबिन शर्मा, सिरमौर
हिमाचल प्रदेश की बेटियों ने एक बार फिर देश को गौरवान्वित किया है। पांवटा साहिब की एक होनहार बेटी ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8,848.86 मीटर) को सफलतापूर्वक फतह कर इतिहास रच दिया है। पर्वतारोहण जैसे जोखिम भरे क्षेत्र में यह उपलब्धि हासिल कर उन्होंने न केवल हिमाचल, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन कर दिया है।
एवरेस्ट से लौटने के बाद जब वह पांवटा साहिब पहुंचीं, तो पूरे शहर ने उनका ऐतिहासिक स्वागत किया। भाई पॉइंट से एनसीसी छात्राओं की अगुआई में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के नारों के साथ एक भव्य रैली निकाली गई। रैली में बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक, स्कूली बच्चे और गणमान्य लोग शामिल हुए।
गौर करने वाली बात यह है कि यह युवती सिर्फ पर्वतारोही ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी खिलाड़ी भी हैं और उन्होंने राष्ट्रीय खेलों में गोल्ड मेडल जीत रखा है। उन्होंने दो विपरीत क्षेत्रों – खेल और पर्वतारोहण – दोनों में अपनी छाप छोड़ी है।
मीडिया से बातचीत में उनके पिता की आंखों में भावुकता साफ झलक रही थी। उन्होंने कहा, “हम डरते थे कि इतनी ऊंचाई, इतनी ठंड, इतनी जोखिम… लेकिन आज जब लोग मेरी बेटी को सम्मान दे रहे हैं, तो यह गर्व और संतोष की सबसे ऊंची भावना है।”
बेटी ने बताया कि माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान उन्होंने -40 डिग्री तापमान, ऑक्सीजन की भारी कमी और तूफानी हवाओं का सामना किया। लेकिन हिम्मत और देश के प्रति समर्पण ही उनका संबल बना। उन्होंने कहा, “यह तो शुरुआत है। मैं चाहती हूं कि देश की हर बेटी अपने भीतर छिपे पर्वतारोही को पहचाने और देश का नाम ऊंचा करे।”