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ट्रैकिंग के लिए बेहतरीन जगह है पार्वती घाटी, जानें कैसे पहुंचें यहां

समाचार फर्स्ट |

| आदित्य मल्होत्रा

शहरों की भागम-भाग से दूर हिमाचल प्रदेश प्रकृतिक खूबसूरती का खजाना है। हिमाचल की पार्वती घाटी में ट्रेकिंग करना पसंदीदा चीजों में से एक है और जो दिल्ली जैसे शहर में रहते हैं उनके लिए तो ये खजाने के मिलने से कम नहीं।  पार्वती घाटी रोमांटिक कपल और ट्रेवल ट्रीप के लिए बेहतरीन जगह है। 

तो आइए कैसे आप पहुंच सकते है दिल्ली से यहां…

पहला दिन:

दिल्ली से सफर शुरू होता है बस की टिकट बुकिंग के साथ। सबसे पहले वोल्वो बस ऑनलाइन बुक करवाएं। दिल्ली के मंजनु का टिला से बसें शाम 6 बजे से हिमाचल की ओर निकलना शुरू हो जाती हैं।  यहां से 11 से 14 घंटे का लंबा सफर होता है। रात में बसें हाई-वे के किनारे खोलें रेस्तरां में खाना खाने के लिए रूकती हैं। जब सुबह नींद खुलती है तब प्रकृति के नजारे के साथ चाय की चुस्की का आनंद लेने के लिए बस एक बार फिर रूकती है। 7.30 बजे तक बस आपको भूंतर बस अड्डे तक पहुंचा देगी।

दूसरा दिन:

भूंतर  से मलाणा

भूंतर बस अड्डे तक पहुंचने के बाद अगला सफर मलाणा के लिए है। वहां तक पहुंचने के लिए आप लोकल बस से नोर्मल किराए पर जरी तक जाना होगा। जरी तक पहुंचने के बाद मलाणा गांव के प्रवेश तक पहुंचने के लिए आप पैदल यात्रा या टैक्सी बुक करवा सकते है। गांव तक पहुंचने के लिए ट्रैक मुश्किलों भरा नहीं है पर भी यदि आप अस्वस्थ है तो थक सकते हैं। इस सफर के दौरान आप बूढ़ी महिलाओं को भारी भरकम को लादे हुए देख सकते है। जो किसी तरह की थकावट के बिना बढ़ते हुए दिखाई देते है। इस अद्भूत सफर में कई गेस्ट हाउस भी मिलेंगे जहां आप ठहर सकते है।

तीसरा दिन:

मलाणा से कसोल 

मलाणा के अद्भुत प्राकृतिक नजारों और रोमेंटिक फोटो लेने के बाद, अगला पड़ाव कसोल है। कसोल के लिए आप टैक्सी या जरी तक बस से वापिस आ सकते है। जरी से कसोल के लिए बसें चलती हैं। कसोल में काफी रेस्तरां खुले हैं जो आपके सफर को ओर यादगार बना देते है। कसोल टैक्सी स्टैंड के दूसरी तरफ नेपाली महिला और उसकी बेटी ने एक रेस्तरां खोला है जो व्यंजन थूपका और मोमोस के लिए फेमस है। कसोल पार्टियों और फेस्टिवल्स के लिए भी फेमस है।

चौथा दिन:

कसौल से कुटला वाया तोश

कसोल के बाद आप भेरसैनी के लिए बस या टैक्सी लें। हमने पहले तोश जाना उचित समझा, जो 45 मिनट का पैदल रास्ता है। ओलिव गार्डन कैफे पहुंचने पर कुटला के लिए 1 घंटे का ट्रेकिंग का सफर है जिसमें रास्तें में वॉटरफाल भी पार करना पड़ता है। कुटला पूरे साल दूसरे भागों से कटा रहता है। फिर भी वहां रहने की व्यवस्था है गेस्ट हाउस के साथ ही ठंडी पानी की धारा बहती है जहां आप डूबकी का आनंद ले सकते है। यदि आप कुछ समय के लिए शांति का आनंद लेना चाहते है तो यहां दो रातें बिताना सही रहेगा।

 

पांचवा दिन:

कुटला से खीरगंगा

भेरसैनी से खीरगंगा के लिए 3 से 4 घंटे का समय लगता है। यहां से सुबह जल्दी निकलना बेहतर रहेगा। दोपहर तक गर्मी हो जाती है जिससे ट्रेकिंग में दिक्कत आती है। 

ट्रेकिंग के दौरान फुटवेयर का इस्तेमाल करें और सचेत रहें ट्रेक के दौरान गर्म पानी के चश्में मुख्य आकर्षण है। खीरगंगा के प्राकृतिक नजारें आपको हैरान कर देंगे। 

छठा दिन: 

खीरगंगा से पुराना मनाली वाया कुल्लू

भेरसैनी से 20-30 मिनट में बसें मिल जाती हैं। कसोल से कुल्लू के लिए भी 30-40 मिनट में बस मिल जाती है। कुल्लू उतरने के बाद स्पीति घाटी के लिए  बस लें, वहां से मनाली के लिए बस का सफर करें। मनाली पहुंचने के बाद पुराना मनाली ठहरने के लिए बेहतर है। सनसाईन कैफे, जोन्सन लॉज, आर्ट कैफे खानपान के लिए बेहतरीन है।

  

सातवां दिन

मनाली से काजा (स्पीति घाटी)

मनाली से काजा के लिए बस लें जो कम से कम 8 घंटे का सफर है। रोहतांग पास तक कई घुमाव है लेकिन पूरी तरह से मंत्रमुग्ध करने वाले। स्पीति नदी जो घाटी में बहती है सांप की तरह लगती है। यहां कम ऑक्सीजन थोड़ा आपके आनंद को कम कर सकती है। 

आठवां दिन

गुई मोनास्ट्री

बस आपको सुबह 9 बजे के करीब गुई मोनास्ट्री में छोड़ देगी। वहां दिन में एक बस ही आती जाती है इसका पूरा ख्याल रखें। गुई मोनास्ट्री भारत और चीन के साथ लगते अंतिम पहाड़ों पर स्थित है। यहां एक मोंक है जो निर्वाण को प्राप्त हुए थे उनके शरीर को अभी भी पूजा जाता है। इस गुई मोनास्ट्री के लिए 35 मिनट का रास्ता है. रास्तें में आपकों खेत मिलेंगे जहां अभी पारंपरिक तरीके से खेती की जाती है। यहां आकर हरे मटर का स्वाद लेना न भूलें जो मीठे बैर से कम नहीं लगते। 

काजा वापिस आने के लिए ताबो तक टैक्सी ले सकते है। 

नौवां दिन

की मोनास्ट्री

की मोनास्ट्री के लिए शाम 5 बजे से रोजाना बस चलती है। 30 मिनट में आप मोनास्ट्री पहुंच सकते है। मोनास्ट्री  पहुंचकर आप शाम को वहां ठहर सकते है और बेहतरीन फूड का लुत्फ उठा सकते हैं।