➤ पेंशनरों ने धर्मशाला में रैली निकालकर जोरावर स्टेडियम के बाहर चक्का जाम किया
➤ जल शक्ति विभाग के पैरा और मल्टी टास्क वर्कर भी सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन में उतरे
➤ महंगाई और कम वेतन के विरोध में संघर्ष मोर्चा ने नीति बनाने की मांग तेज की
हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन शुक्रवार को प्रदेश सरकार के खिलाफ विभिन्न वर्गों का आक्रोश खुलकर सामने आया। पेंशनर वेलफेयर एसोसिएशन ने सुबह पुलिस मैदान से एक बड़ी आक्रोश रैली निकाली, जो नारेबाजी के बीच जोरावर स्टेडियम के बाहर पहुंचकर चक्का जाम में बदल गई। पेंशनरों ने आरोप लगाया कि वर्षों से लंबित मांगों पर सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं ले रही है, जिसके चलते वे मजबूर होकर सड़क पर उतरने को विवश हैं। प्रदर्शन के दौरान स्थिति तनावपूर्ण न बने, इसके लिए पुलिस ने पूरे क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी थी।
इसी दौरान शीतकालीन सत्र के बीच जल शक्ति विभाग के पैरा और मल्टी टास्क वर्कर भी जोरावर स्टेडियम में इकट्ठा हुए और सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी का इज़हार किया। वर्करों ने कहा कि महंगाई बढ़ने के बावजूद वे 5–6 हजार रुपये में गुज़ारा करने को मजबूर हैं, जबकि महज 150 रुपये की दिहाड़ी में परिवार का भरण-पोषण करना असंभव है। वर्करों ने सरकार पर आरोप लगाया कि 68 बार मांग पत्र सौंपने के बावजूद उनकी समस्याओं पर गौर नहीं किया गया।
मल्टी टास्क वर्कर संघर्ष मोर्चा के मुख्य सलाहकार सुरेश चौहान ने कहा कि वर्करों की दिहाड़ी इतनी कम है कि न तो वे अपना खर्च चला पा रहे हैं और न ही बच्चों की पढ़ाई—लिखाई ठीक ढंग से कर पा रहे हैं। उपाध्यक्ष ईशान भारद्वाज ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यदि प्रदेश की सुक्खू सरकार उनकी मांगों पर कोई नीति नहीं बना सकती है, तो कम से कम लिखित में बता दे ताकि वे कहीं और रोजगार तलाश सकें।
जोरावर स्टेडियम के बाहर पूरे दिन माहौल गर्म बना रहा। पेंशनरों और पैरा वर्करों के नारों के बीच सत्र भवन के आसपास पुलिस सतर्क नजर आई। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।



