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SJPL बना सफ़ेद हाथी, बरसात में भी लोगों को नहीं मिल रहा पानी

पी. चंद |

पानी की विकराल समस्या से जूझना अब राजधानी शिमला के लोगों की नियति बन चुकी है. फिर चाहे गर्मियां हो , सर्दियां हो या फिर बरसात, हर मौसम में राजधानी शिमला को पानी की किल्लत से जूझना पड़ता है. गर्मियों में पानी के स्रोत सूख जाने से समस्या विकराल हो जाती है. जबकि बरसात में जब आसमान से मूसलाधार पानी बरसता है ऐसे में भी शिमला के लोग प्यासे ही रह जाते हैं. यह रोना पिछले कई वर्षों से बदस्तूर जारी है.

शिमला के घरों में आजकल चौथे या पांचवे दिन पानी की सप्लाई दी जा रही है. यानी कि राशनिंग से लोगों को दो -चार होना पड़ रहा है. 2017 में जब शिमला का नाम पानी की किल्लत को लेकर देश विदेश में बदनाम हुआ तो आनन- फानन में सरकार ने पानी का जिम्मा “नगर निगम शिमला” से छीन कर “शिमला जल प्रबंधन निगम”( SJPL) खड़ा कर उस को सौंप दिया. शिमला जल प्रबंधन निगम भी एक सफेद हाथी बन कर रह गया है. क्योंकि निगम तो सरकार ने खड़ा कर दिया. जिस पर करोड़ों का खर्चा भी किया जा रहा है. लेकिन पानी की मूल समस्या अभी भी जस की तस जस की तस बनी हुई है.

24 घंटे पानी देने का दावा करने वाला शिमला जल प्रबंधन निगम अब मुंह छुपाए घूम रहा है. बरसात में गाद आने का हवाला देकर पानी की राशनिंग की जा रही है. ऐसा भी नही है की पानी 40 MLD से कम आ रहा है लेकिन SJPL की मिली भगत के आरोपों के बीच पानी आबंटन पर सवाल खड़ा हो रहे है. जिसको लेकर हिमाचल उच्च न्यायालय ने भी निगम से जवाब तलब किया है, बावजूद इसके पानी की समस्या अभी भी बरकरार है और लोगों को चौथे या 5 दिन पानी दिया जा रहा है. टूटू की सुमिता कहती हैं उनके घर में पांचवें दिन पानी आ रहा है वह भी बहुत कम मात्रा, मजिससे रोजमर्रा के काम में दिक्कत पेश आ रही है.जबकि लोअर् खल्लिनी की रहने वाली कांता देवी ने भी पानी की समस्या को अपने लिए मुसीबत बताया.