मंडी शहर पानी की बूंद बूंद को तरस गया। बुधवार को तो हालात बेहद चिंतनीय हो गए। लोगों को पानी के लिए दर दर भटकना पड़ा। पानी के संकट ने होटल व्यवसाय चौपट कर दिया। रेस्तरां ढावों में भी पानी के संकट के चलते काम ठप हो गया। सुबह से कुदरती जल स्त्रोतों के आगे लोगों की भीड़ रही। पीने के लिए लोग कुदरती जल स्त्रोतों पर निर्भर हो गए हैं जो उनके घरों से दूर हैं।
शौच व अन्य कार्यों के लिए पानी न होने से हर परिवार में स्थिति दयनीय हो गई है। 9,10 जुलाई की बारिश व व्यास उहल नदियों में आई बाढ़, जगह जगह भूसख्लन, पाइपों के टूटने, योजनाओं में मलबा भरने, पंप हाउसों के बर्बाद हो जाने के कारण यह संकट आया है।
मंडी को सबसे अधिक आपूर्ति उहल नदी से आने वाली बहाव योजना से होती है जो ठप पड़ी है। दूसरे नंबर पर पड्डल के पास व्यास नदी से पानी उठाया जाता है, जहां पर नदी का पानी घुसने से सब मशीनरी खराब हो चुकी है। अब शहर को किसी तरह से बिजनी, मैगल व अन्य आसपास के स्त्रोतों से पानी देने का प्रयास हो रहा है मगर यह सब उंट के मुंह में जीरा है।
जल शक्ति विभाग ने मंगलवार को एक शैडयूल तय किया था कि हर वार्ड को पानी कब और कैसे दिया जा सकता है मगर यह पूरी तरह से फेल साबित हुआ है। लोगों के अनुसार उन्हें इस शैडयूल के अनुसार कोई पानी नहीं मिला। नतीजा यह रहा कि लोग मीलों जाकर पानी ला रहे हैं।
नौकरी पेशा व अन्य संस्थानों में प्रशिक्षण ले रहे प्रशिक्षुओं को छुट्टी लेकर पानी की व्यवस्था के लिए जाना पड़ा है। इधर, बताया जा रहा है कि उहल परियोजना से पानी की सप्लाई शायद गुरूवार तक बहाल हो जाएगी। पड्डल पंप हाउस से पानी उठाने में कई दिन का वक्त लग सकता है।
पूरा दिन लोग पानी की शिकायत के लिए जल शक्ति विभाग के शिकायत कक्ष व अधिकारियों को फोन मिलाते रहे मगर विभाग भी परेशान हो गया है और कोई भी फोन नहीं उठा रहा है। सूत्रों के अनुसार शायद गुरूवार को मंडी में आंशिक तौर पर पेयजल की सप्लाई उहल से बहाल हो जाए।
इस बारे में जल शक्ति विभाग के सहायक अभियंता से संपर्क करने की कोशिश की गई मगर उनका मोबाइल भी स्वीच आफ मिला। मंडी शहर में पेयजल सप्लाई का इससे बुरा हाल इससे पहले कभी नहीं हुआ। ऐसी आपदा में मंडी जैसे बड़े शहर के लिए वैकल्पिक प्रावधान करना जरूरी हो गया है।