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अन्य जिलों की तर्ज पर शिमला में भी मिले टैक्सी चलाने की इजाजत, टैक्सी चालकों ने DC से की मांग

पी. चंद, शिमला |

शिमला शहर में कार्यरत टैक्सी यूनियनों का एक प्रतिनिधि मंडल सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा की अध्यक्षता में डीसी शिमला से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि शिमला शहर में मंडी, कुल्लू, कांगड़ा, ऊना ओर अन्य जिलों की तर्ज़ पर टैक्सी ऑपरेटरों को टैक्सियां चलाने की इजाज़त दी जाए। डीसी शिमला ने आश्वासन दिया कि इस संदर्भ में सहानुभूतिपूर्वक आधार पर तुरन्त ही सकारात्मक कदम उठाया जाएगा ओर 23 मई तक हर हाल में टैक्सी सेवा शुरू करने के लिए पहलकदमी की जाएगी।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ओर टैक्सी यूनियन के राज्य उपाध्यक्ष राजेन्द्र कुमार ने कहा है कि शिमला शहर में टैक्सियों के संचालन पर प्रतिबंध से हज़ारों परिवारों को दो वक्त की रोज़ी-रोटी जुटाना मुश्किल हो गया है। लगातार तीसरे महीने टैक्सियों के संचालन पर प्रतिबंध से टैक्सियों की पिछले तीन महीने की बैंक किश्त भी टैक्सी ऑपरेटरों के लिए गले की फांस बन गयी है। हिमाचल प्रदेश के मंडी, ऊना, कांगड़ा ओर कुल्लू जिलों में टैक्सी के संचालन की इजाज़त दी गयी है तो फिर शिमला जिला में इसकी इजाजत न देना टैक्सी संचालकों के साथ प्रशासन की घोर मनमानी है।

उन्होंने कहा कि एक तरफ टैक्सी संचालकों के रोजगार पूरी तरह खत्म हो गया है वहीं दूसरी ओर बैंक की किश्तों,मकान किरायों व बच्चों की फीसों के बोझ तले वे पूरी तरह दब गए हैं। उन्होंने कहा कि शिमला शहर जैसी जगह में कुल जनसंख्या के एक-चौथाई लोगों के पास भी अपने निजी वाहन नहीं हैं अतः टैक्सियों के न चलने से जनता भी अपने कई कामों के लिए सीधे तौर पर टैक्सियों पर निर्भर है। टैक्सियों को चलाने की इजाज़त न देने से शिमला शहर की जनता भी भारी परेशानी में है।

उन्होंने कहा है कि टैक्सी संचालक सरकार को टैक्स देते हैं फिर भी उनके प्रति सरकार का सौतेला व्यवहार समझ से परे है। उन्होंने कहा है कि पूरे देश में कृषि क्षेत्र के बाद ट्रांसपोर्ट सेक्टर दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र है। हिमाचल प्रदेश में भी सवा दो लाख से ज्यादा कमर्शियल व्हीकल पंजीकृत हैं जिसमें तीन लाख से ज़्यादा लोग कार्यरत हैं। इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों के साथ प्रदेश सरकार व प्रशासन का रवैया बेहद बुरा है। इस क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले लोग सरकार से कुछ लेने के बजाए सरकार के राजस्व में इज़ाफ़ा ही करते हैं। शिमला जिला प्रशासन द्वारा शिमला जिला में हज़ारों टैक्सी संचालकों को टैक्सियां चलाने की इजाज़त न देने से ये टैक्सी संचालक भारी परेशानी में हैं।