हिमाचल के बहुचर्चित फोन टैपिंग मामले में आरोपी पूर्व डीजी पुलिस आईडी भंडारी को कोर्ट से राहत मिलने के बाद कोर्ट के कहने पर छोटा शिमला थाने में एफआईआर दर्ज हुई है। छोटा शिमला थाने में धारा 156(3) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
2012 में वीरभद्र सिंह के सीएम पद की शपथ लेने से एक दिन पहले सीआईडी मुख्यालय में तत्कालीन मुख्यसचिव, गृहसचिव और डीआईजी स्तर के अधिकारियों ने अवैध रूप से दबिश दी। उस समय वे सीआईडी के प्रमुख थे। आरोप लगाया गया कि फोन टैपिंग की कुछ सीडी तोड़ी गई हैं।
अवैध तरीके से फोन टैप हुए हैं। भंडारी ने कोर्ट से राहत मिलने के बाद कहा था कि इस संबंध में कई बार मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को अवगत करवाया कि फोन टैपिंग की प्रक्रिया वैधानिक और नियमसंगत तरीके से होती है। उन्होंने कहा कि अवैध तरीके से 14 सौ फोन टैपिंग की बात झूठी साबित हुई केवल दो फोन टैप हुए, जिसमें एक तिब्बती नागरिक का था तो दूसरा कोई सब्जी वाला था।
भंडारी ने आरोप लगाया था कि सीएम के आदेश पर उन पर केस बनाए गए और वे केवल अकेले आरोपी बनाए गए। उन्होंने कहा कि खुद को इस मामले से अलग करने की निचली अदालत में याचिका दी। निचली अदालत ने कहा कि मामला झूठा है और 25 मई 2016 को बरी किया।
इसके बाद एक पुलिस अधिकारी ने इसके खिलाफ फिर सेशन कोर्ट में केस किया। 20 नवंबर 2017 को कोर्ट का फैसला उनके हक में आया था। इसी को आधार बनाकर कोर्ट के आदेश पर अब मामला दर्ज किया गया। पुलिस अधीक्षक शिमला ओमपति जम्वाल ने मामले की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि दो माह पूर्व भी पूर्व डीजीपी शिकायत लेकर आए थे लेकिन मामला दर्ज नहीं किया गया था अब कोर्ट के आदेश के बाद मामला दर्ज किया गया है।