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79वें स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी का बड़ा ऐलान, आत्मनिर्भर भारत के नए संकल्प

दिवाली पर GST में बदलाव, नेक्स्ट-जनरेशन रिफॉर्म्स का ऐलान
टास्क फोर्स, वोकल-फॉर-लोकल और एमएसएमई के लिए ‘दाम कम, दम ज्यादा’ मंत्र
ऑपरेशन सिंदूर, इंडस वाटर ट्रीटी पर सख्त रुख और 50% क्लीन एनर्जी लक्ष्य हासिल



भारत ने 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाते हुए लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन सुना, जिसमें इस साल की दिवाली पर बड़े आर्थिक तोहफे का संकेत देते हुए GST में नेक्स्ट-जनरेशन रिफॉर्म्स लाने की घोषणा हुई। प्रधानमंत्री ने बताया कि आठ वर्षों में कर प्रणाली को सरल बनाने के बाद केंद्र और राज्यों से व्यापक रिव्यू किया गया है। अब रोज़मर्रा की वस्तुएं सस्ती करने, उद्योगों को प्रोत्साहन देने और अर्थव्यवस्था को बल देने के लिए नए सुधार लागू किए जाएंगे—इसे उन्होंने “डबल दिवाली” का काम कहा।

भविष्य के सुधारों को समयबद्ध ढंग से लागू कराने के लिए सरकार ने एक उच्च-स्तरीय टास्क फोर्स गठित करने का निर्णय लिया है, जो 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप नीतियां तैयार करेगी। पीएम मोदी ने सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि यह किसी दल का एजेंडा नहीं, बल्कि भारत-प्रथम का एजेंडा है—“मैं देश के लिए कर रहा हूं, अपने लिए नहीं।” उन्होंने “लंबी लकीर” का उदाहरण देते हुए कहा कि दूसरों की लकीर छोटी करने के बजाय हमें अपनी लकीर बड़ी करनी है।

व्यापार और स्वदेशी पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हम वोकल-फॉर-लोकल को मजबूरी नहीं, मजबूती के साथ अपनाएं—“स्वदेशी का उपयोग हम अपनी ताकत के लिए करेंगे, और जरूरत पड़े तो दूसरों को भी इसके लिए मजबूर करेंगे।” देशवासियों से अपील रही कि भारत में बनी वस्तुएं खरीदें ताकि छोटे उद्योग और गृह उद्योग सशक्त हों। युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अपने आइडिया को कभी मरने न दें; यदि मैन्युफैक्चरिंग में नीति-नियम बदलने की जरूरत है तो बताएं—सरकार साथ खड़ी है। एमएसएमई की वैश्विक पहचान का उल्लेख करते हुए गुणवत्ता का मंत्र दिया—“दाम कम, दम ज्यादा।”

ऊर्जा सुरक्षा पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने 2030 के लिए तय 50% क्लीन एनर्जी का लक्ष्य 2025 में ही प्राप्त कर लिया। ग्रीन हाइड्रोजन, सोलर, हाइड्रो और परमाणु ऊर्जा में तेज़ निवेश जारी है; 10 नए परमाणु रिएक्टर काम कर रहे हैं और 2047 तक क्षमता को 10 गुना बढ़ाने का लक्ष्य है, साथ ही निजी क्षेत्र के लिए परमाणु ऊर्जा के दरवाज़े खोले गए हैं। समुद्र की गहराइयों में डीप वॉटर एक्सप्लोरेशन मिशन द्वारा तेल-गैस भंडार खोजे जाएंगे। क्रिटिकल मिनरल मिशन के तहत 1200+ लोकेशन्स पर खोज जारी है ताकि रक्षा और तकनीक के लिए आवश्यक खनिजों में आत्मनिर्भरता हो सके।

तकनीक-डिजिटल क्षेत्र में पीएम ने कहा कि आईटी, डेटा, साइबर सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में स्वदेशी समाधान समय की मांग हैं। भारत ने दुनिया को UPI की ताकत दिखाई है और वैश्विक डिजिटल ट्रांजैक्शन में बड़ा योगदान दे रहा है; अब चुनौती है कि हमारे पेटेंट और इनोवेशन भी वैश्विक स्तर पर अग्रणी हों। R&D नीति को और मजबूत किया गया है।

अंतरिक्ष क्षेत्र में उन्होंने बताया कि गगनयान पर कार्य तेज़ है, भारतीय स्पेस स्टेशन की दिशा में प्रगति हो रही है और 300+ स्पेस स्टार्टअप्स उभर रहे हैं। कुछ दिनों में शुभांशु शुक्ला के भारत आगमन का जिक्र करते हुए वैज्ञानिक-इंजीनियर समुदाय से आह्वान किया कि मेड-इन-इंडिया फाइटर जेट्स के लिए जेट इंजन देश में ही विकसित करें। सेमीकंडक्टर मिशन पर कहा कि 6 यूनिट्स की नींव रखी जा चुकी है और वर्ष के अंत तक मेड-इन-इंडिया चिप्स बाजार में होंगी।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर के जांबाज़ों को सलाम किया। 22 अप्रैल, पहलगाम में हुए नरसंहार के बाद भारत ने सीमापार दुश्मन के ठिकानों पर सैकड़ों किलोमीटर भीतर जाकर करारी कार्रवाई की—इसे “कई दशकों तक न भूले जाने वाला” बताया। संदेश साफ था—आतंक और उसे पाले-पोसे वालों में अब कोई अंतर नहीं; यह हमारा न्यू-नॉर्मल है। न्यूक्लियर ब्लैकमेल अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा; आगे भी सेना अपनी शर्तों पर लक्ष्य साधेगी।

इंडस वाटर ट्रीटी पर प्रधानमंत्री ने दोहराया—“खून और पानी साथ नहीं बहेंगे।” भारत के हक के पानी पर अधिकार भारत और भारतीय किसानों का है; वर्तमान स्वरूप में यह संधि किसान-हित और राष्ट्र-हित में स्वीकार्य नहीं।

कृषि-इनपुट की निर्भरता घटाने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि फर्टिलाइज़र के मामले में भी आत्मनिर्भर बनना होगा ताकि किसान सशक्त हों।

समारोह में ध्वजारोहण, प्रधानमंत्री को गार्ड ऑफ ऑनर, और देशभर से आए “लघु भारत” के प्रतिनिधियों की उपस्थिति दर्ज रही। उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की। भाषण में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 129वीं जयंती का स्मरण किया और संविधान निर्माताओंडॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. भीमराव आंबेडकर, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, डॉ. राधाकृष्णन और नारी शक्ति—को नमन किया। यह दिन उन्होंने संकल्प का महापर्व बताते हुए एक भारत, एक संकल्प के साथ समाप्त किया।