हिमाचली उत्पाद इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी खूब पसंद आए। बात गत 27 दिसम्बर, 2021 की है, जब पीएम मोदी सूबे की जयराम सरकार के चार वर्ष पूर्ण होने के मौके पर मंडी में आयोजित रैली को संबोधित करने आए थे। इस दौरान मंडी में जूट के जूतों जिन्हें प्रदेश में पूहलें कहा जाता है, कि प्रदर्शनी लगाई गई थी। प्रधानमंत्री कुछ पल पूहलों के स्टॉल के पास रूक गए और साथ में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी मौजूद थे। ऐसे में प्रधानमंत्री ने इन पूहलों के बारे में पूछा तो मुख्यमंत्री ने उन्हें पूरी जानकारी दी।
फिर क्या था प्रधानमंत्री ने भी सूबे के मुखिया जयराम ठाकुर से इन जूतों की डिमांड कर दी। ऐसे में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कुछ ही दिन बाद प्रधानमंत्री कार्यालय के लिए 150 पूहलें भेज दी। इन पूहलों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी दौरे के दौरान बाबा काशी विश्वनाथ धाम में इस ठंड में नंगे पांव ड्यूटी करने वाले पुजारियों, सुरक्षा गार्डों, सफाई कर्मचारियों और अन्य लोगों को भेंट स्वरूप प्रदान किया।
मान्यता के अनुरूप देशभर के सभी मंदिरों में चमडे़ व रबड़ के जूते-चप्पल पहनने पर प्रतिबंध है। ऐसे भव्य और विशाल मंदिरों में इस कारण पुजारियों, सेवादारों और सुरक्षाकर्मियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि इन जूतों की पीएमओ ने और भी डिमांड की है। ऐसे में इस बार 1500 पूहलें भेजने की सूचना है।
बता दें कि इन पूहलों को कुल्लू में बनाया जा रहा है। बहरहाल, इस सारे वाक्या की चर्चा देशभर में है। कुछ भी कहें हिमाचल में कारीगरों एवं प्रतिभाशाली लोगों की कमी नहीं है। इससे पहले भी हिमाचली उत्पाद विभिन्न बड़ी शख्सियतों को काफी पसंद आ चुकी है।
काशी विश्वनाथ में भी पुजारियों, सेवादारों और सुरक्षा कर्मियों को पहले लकड़ी के खड़ाऊं दिए गए थे, मगर खड़ाऊं के कारण इन्हें कई दिक्कतें आ रही थीं। खड़ाऊं पहन कर आठ घंटे ड्यूटी करना काफी मुशिकल भरा था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इनकी समस्या को समझते हुए देवभूमि हिमाचल प्रदेश से यह नायाब तोहफा भेजा है।
वहीं सर्व देवता समिति मंडी के अध्यक्ष शिवपाल शर्मा का कहना है कि मंडी-कुल्लू की बनी पूहलें जड़ी बूटियों से तैयार होती हैं और इन्हें पवित्र माना जाता है। इस कारण इन्हें पहनकर देव स्थल के अंदर व रसोईघर में जाने में कोई पाबंदी नहीं हैं। काशी विश्वनाथ के पुजारियों, सेवादारों और सुरक्षाकर्मियों के लिए यह सबसे बेहतर हैं। उधर, डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग का कहना है कि 100 जोड़ी पूहलें भेजी गई हैं। इतनी ही और भेजने की तैयारी की जा रही है।
पूहलों का निर्माण प्रदेश के लगभग सभी जिलों में होता है, लेकिन मंडी व कुल्लू में भांग के पौधे से बनाई जाने वाली पूहलें काफी मजबूत व पवित्र मानी जाती हैं। भांग के पौधे के तने का हिस्सा और ब्यूल के भी रेशों का प्रयोग इसमें किया जाता है। एक पूहल बनाने में तीन से चार घंटे का समय लगता है। मंडी कुल्लू में बनी पूहलें 200 से लेकर 700 रुपए तक उपलब्ध हैं। मंडी कुल्लू के तमाम देवी-देवताओं के मंदिरों में पुजारी इन्हें ही पहनते हैं। ग्रामीण महिलाएं रसोईघरों में भी सर्दियों में पूहलें ही पहनती हैं।
Bareilly GPS Navigation Acciden: बरेली में एक दर्दनाक सड़क हादसे में तीन लोगों की मौत…
NCC Raising Day Blood Donation Camp: एनसीसी एयर विंग और आर्मी विंग ने रविवार को…
Sundernagar Polytechnic Alumni Meet: मंडी जिले के सुंदरनगर स्थित राजकीय बहुतकनीकी संस्थान में रविवार को…
Himachal Cooperative Sector Development: मंडी जिले के तरोट गांव में आयोजित हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी…
NSS Camp Day 6 Highlights.: धर्मशाला के राजकीय छात्र वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में चल रहे…
Bhota Hospital Land Transfer: हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार राधास्वामी सत्संग व्यास अस्पताल भोटा की…