<p>हिमालय साहित्य मंच ने बाबा भलकु की स्मृति में आज कालका-शिमला रेल और पर्यावरण यात्रा का आयोजन किया। इसमें 35 लेखक सदस्य सुबह 8.15 बजे शिमला रेलवे स्टेशन रेलगाड़ी में निकल गए है। वहां से कंडाघाट रेलवे स्टेशन तक पर्यावरण जागरूकता पैदल यात्रा करेंगे। दोपहर बाद स्टेशन पर ही एक साहित्यिक गोष्ठी का भी आयोजन किया जायेगा। हिमालय मंच के लेखकों सहित स्थानीय और दूर दराज से भाग लेने आये लेखक, कलाकार और छात्र भी भाग लें रहे है। </p>
<p>यह यात्रा शिमला, संमरहिल, केथलीघाट, कनोह और कंडाघाट रेलवे स्टेशनों के अधिकारियों के सहयोग से की जा रही है। शिमला रेलवे स्टेशन के अधीक्षक प्रिंस सेठी ने यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस यात्रा में लेखक पहले चलती रेलगाड़ी में शिमला से बड़ोग तक साहित्य गोष्ठी करते हैं और फिर चायल स्थित बाबा भलकु के पुस्तैनी घर झाझा जाकर उनके परिवार से मिलकर वहां साहित्यिक गोष्ठी करते हैं। </p>
<p>2018 और 2019 में इन यात्राओं और गोष्ठियों के सफल आयोजनों के बाद कोविड के कारण गत वर्ष यात्रा नहीं हो पायी थी इसलिए इसी वजह से कोविड नियमों की अनुपालना करते हुए इस बार यात्रा और गोष्ठी का स्वरुप छोटा रखा गया है। कहा जाता है कि जब पहाड़ पर ट्रेन की पटरी लाई जा रही थी तो अंग्रेज इंजीनियर सर्वेक्षण करने में असफ़ल हो गए थे। तब बाबा भलकु ने एक छड़ी से शिमला कालका ट्रैन पटरी का सर्वेक्षण कर दिया था। उनके योगदान को आज तक नहीं भुलाया जा सका है।</p>
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