<p>मछली खाने का शौक रखने वालों का लंबा इंतजार अब खत्म हो गया है। आज यानी रविवार से लोगों को बाजार में मछली मिलना शुरू हो गयी है। करीब पौंग बांध की 15 सहाकरी सभाओ मे मछली आने का सीलसीला जारी है । लगभग हर मत्स्य सहकारी सभा मे भरभूर फिश पंहुच रही ही। गुगलाडा मत्स्य सहकारी सभा मे 6 क्विंटल जब की खटियाड़ मे चार तो हरसर मे पांच क्विंटल ,स्थाना मे एक क्विंटल 58 किलो तो वहीं धमेटा में एक क्विंटल 88 किलो, सिहाल में 38 किलो, डाडासीवा में एक क्विंटल 36 किलो तो वरनाली मे पांच पांच क्विंटल तक मछली पंहुची है। जबकि 15 सहकारी सभा की एवरेज 60 क्विंटल के करीब फिश पहुंचने का अनुमान है। इस के बाद यह मछली अब मार्किट फिश में जाएगी। पंजाब के तलबाडा, अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, जम्मू और दिल्ली के मार्किट में पंहुचेगी। फिश के नाम से हब बन चूके खटियाड़ के ढाबों पर आज से दौबारा रौनक लौट आएगी।</p>
<p>पहले कोरोना के चलते मछली पकड़ने का कार्य बंद था उसके बाद दो माह तक सरकारी प्रतिबंध लगा था, जो कि आज यानी रविवार से हट गया है। हिमाचल के कांगड़ा जिला की पौंग झील में मछुआरे मत्स्य आखेट के लिए पुरी तरह से तैयार हैं होने के बाद आज मछली का शिकार कर मत्स्य सहकारी सभा मे पंहुच रहे है। अब आज रविवार से लोग पौंग झील की मछली का स्वाद ले पाएंगे। बता दें इस बार मछली खाने के शौकिनों को पहले कोरोना ने रोके रखा और 24 मार्च से 15 जून तक मछली का शिकार नहीं कर पाए। उसके बाद दो माह तक हर साल की तरह मत्स्य आखेट पर सरकारी प्रतिबंध लग गया, जिसके चलते बाजारों में करीब पिछले छह माह से मछली की बिक्री नहीं हुई है।</p>
<p>बता दें कि 15 जून से 15 अगस्त तक का समय मछली प्रजनन का होता है, जिस कारण मछली के शिकार पर प्रतिबंध रहता है। लेकिन प्रतिबंध हटते ही मछुआरे पूरी तरह से तैयार हैं। शनिवार को मछुआरों ने अपनी नावों की रिपेयर कर या नई नावें बनवा कर पौंग झील में पहुंचा दी थी। शाम होते ही मछुआरे शिकार के लिए कुच कर गए थे। दो माह के बाद पौंग झील में किश्तियां पहुंचने से झील एक बार फिर से गुलजार हो उठी है। शनिवार शाम मछुआरे झील में जाल डाल दिए थे और 16 अगस्त को मत्स्य सोसायटी में मछली पहुंच गयी है। मछुआरों के साथ-साथ पौंग झील की मछली खाने के शौकीनों को भी मछली का स्वाद चखने को मिलने लगा है।</p>
<p>पौंग झील में करीबन 23 सौ मछुआरे मछली पकड़ने का कार्य कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। दो माह तक मत्स्य आखेट प्रतिबंधित होने के कारण मछुआरों को परिवार के पालन-पोषण में मुशिकलों का सामना करना पड़ता है। इस समय में उनको दिहाड़ी इत्यादि लगाकर गुजारा करना पड़ता है। वहीं, मत्स्य अधिकारी खटियाड़ डॉ पंकज पटियाल ने बताया की फिश मार्किट में आ पंहुची है जिससे शिकारियों और मच्छली के शोकिनों का इंतजार खत्म हो गया है। लम्बे समय से शिकारियों का बंद पड़ा धंधा फिर से पटरी पर आना शुरु हो गया है।</p>
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