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प्रागपुर–गरली के संरक्षण को लेकर विधानसभा में उठी आवाज

➤ प्रागपुर–गरली (हेरिटेज विलेज) के संरक्षण और विकास के लिए विशेष पैकेज की मांग
➤ बिक्रम ठाकुर ने सड़क कनेक्टिविटी, लाइटिंग, पार्किंग, शौचालय और पुराने भवनों के संवर्धन को जरूरी बताया
➤ वार्षिक हेरिटेज उत्सव, स्थानीय शिल्पकारों के प्रशिक्षण और PPP निवेश मॉडल को बढ़ावा देने का सुझाव


धर्मशाला में पूर्व उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने विधानसभा और सरकार का ध्यान प्रागपुर–गरली हेरिटेज विलेज के संरक्षण और पर्यटन विकास की ओर आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 1997 में प्रागपुर को हेरिटेज विलेज का दर्जा मिला था और प्रागपुर व गरली दोनों गांव सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और वास्तुकला की दृष्टि से देश का अनूठा ग्रामीण–हेरिटेज मॉडल बनने की क्षमता रखते हैं।

उन्होंने बताया कि इन गांवों का महत्व पुरानी हवेलियों, प्राचीन मंदिरों, संकरी गलियों, पारंपरिक शिल्पकला और लोक-संस्कृति के कारण राष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान बना सकता है, यदि सरकार समय रहते संरचनात्मक और पर्यटन आधारित पहलें शुरू करे।

बिक्रम ठाकुर ने सरकार से आग्रह किया कि प्रागपुर–गरली के लिए विशेष विकास पैकेज स्वीकृत किया जाए। उनकी प्रमुख मांगों में शामिल हैं:

  • धर्मशाला–उना सड़क व कनेक्टिविटी में सुधार,

  • पर्यावरण-अनुकूल स्ट्रीट लाइटिंग और व्यवस्थित पार्किंग,

  • हेरिटेज थीम वाले सार्वजनिक शौचालय व ठोस कचरा प्रबंधन इकाइयां,

  • स्थानीय शिल्पकारों के लिए प्रशिक्षण और बाजार उपलब्धता,

  • पुरानी हवेलियों को होम-स्टे व बुटीक होटल के रूप में विकसित करना

उन्होंने सुझाव दिया कि प्रागपुर–गरली को वार्षिक हेरिटेज उत्सव के रूप में प्रमोट किया जाए, जिसमें हस्तशिल्प, लोक-संगीत, नृत्य और पारंपरिक व्यंजन प्रदर्शित किए जाएं। साथ ही “वन डिस्ट्रिक्ट–वन प्रोडक्ट” योजना में इन गांवों की विशेष कला एवं उत्पादों को शामिल करने से स्थानीय उद्यमिता को मजबूती मिलेगी।

उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार से यह भी कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा/कौशल योजनाओं के तहत शिल्पकारों को प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता दी जाए। साथ ही CSR, स्टार्टअप और विकास फंड के माध्यम से छोटे पर्यटन उद्यमों का समर्थन सुनिश्चित किया जाए।

बिक्रम ठाकुर ने संस्कृति मंत्रालय, पर्यटन विभाग और संबंधित निकायों से प्रागपुर–गरली को ‘हेरिटेज रूरल क्लस्टर’ का दर्जा प्रदान करने और PPP मॉडल के माध्यम से निवेश आकर्षित करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यदि राज्य और केंद्र की योजनाओं में इस क्षेत्र को शामिल किया गया, तो यह न सिर्फ स्थानीय रोजगार बढ़ाएगा, बल्कि हिमाचल का पर्यटन भी अधिक विविध और स्थायी रूप में उभरेगा।

उन्होंने आशा जताई कि सरकार इस विषय को गंभीरता से लेकर शीघ्र आवश्यक निर्णय लेगी, ताकि प्रागपुर–गरली की ऐतिहासिक पहचान सुरक्षित रह सके और ग्रामीण–सांस्कृतिक पर्यटन को नई दिशा मिल सके।