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हिमाचल के मशहूर लोकगायक प्रताप चंद शर्मा का निधन, 200 से अधिक गाने लिखे और गाए

<p>कई लोकगीतों को मधुर आवाज देकर जन-जन तक पहुंचाने वाले प्रस&zwj;िद्ध लोकगायक प्रताप चंद शर्मा का 91 वर्ष की आयू में मंगलवार को न&zwj;िधन हो गया। उन्होंने देहरा के नलेटी गांव में 9 बजकर 10 मिनट पर आखिरी सांस ली। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार सुबह कालेश्वर घाट पर किया गया।</p>

<p>इनके ल&zwj;िखे कई पहाड़ी गीत आज लोकगीत बन गए हैं। प्रताप चंद शर्मा द्वारा 60 के दशक में ल&zwj;िखा गया गीत ठंड़ी-ठंडी हवा झुलदी, झुलदे चीलां दे डालू, जीणा कांगड़े दा जब उनकी ही आवाज में आया था, तो इस गाने की कांगड़ा सह&zwj;ित ह&zwj;िमाचल के कोने कोने में धूम मच गई थी।</p>

<p>प्रताप चंद शर्मा का जन्&zwj;म 23 जनवरी 1927 को पंड&zwj;ित झाणू राम और कालोदेवी के घर, नलेटी, देहरा में हुआ था। इन्&zwj;होंने करीब 200 गीत ल&zwj;िखे थे। प्रताप चंद शर्मा को कई पुरस्&zwj;कारों से भी नवाजा गया था। उनका करीब 91 साल की आयु में न&zwj;िधन हो गया। उनके न&zwj;िधन पर कई लोगों ने गहरा दुख प्रकट क&zwj;िया है।</p>

<p>प्रताप चंद शर्मा ने 1968 में गाना शुरू किया और लोक संपर्क विभाग से जुड़ गए। 1984 से जालंधर दूरदर्शन से जुड़े। साल 1982 से उन्होंने भारत सरकार के गीत एवं नाटक प्रभाग चंडीगढ़ में भी काम किया। चौदह वर्ष की उम्र में ही वह विवाह बंधन में बंध गए थे और उनके चार लड़के और तीन लड़कियां है, जिनमें से एक लड़की की मृत्यु हो चुकी है।</p>

<p>प्रताप चंद शर्मा को संगीत की प्रेरणा अपने पिता और घर से ही विरासत में मिली थी। कथा-कीर्तनों में धार्मिक गीत और लोक गीत गाते गाते वह लोक सम्पर्क विभाग के सबसे पसंदीदा गायक बन गए इससे पहले इन्होंने मजदूरी करके भी जीवन यापन किया। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा धर्मसभा परागपुर में ग्रहण की, जिसके स्थान पर अब सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल परागपुर में चल रहा है।</p>

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