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पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन शुरू, लोकतांत्रिक परम्पराओं को सुदृढ़ करने पर दिया बल

पी. चंद |

3 दिनों तक चलने वाला हिमाचल पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन शिमला में शुरू हो गया। 100 साल पूरे होने पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा में अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का शिमला में 7वां सम्मेलन व देश में 82वां सम्मेलन चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल सम्मेलन का उद्घाटन किया और विधानसभा की उच्च परम्पराओं को बनाये रखने की पैरवी की।

विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार, नेता प्रतिपक्ष ने 100 साल बाद शिमला में हो रहे इस सम्मेलन को ऐतिहासिक क़रार दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रदेश के लिए गौरवपूर्ण क्षण है। प्रदेश विधानसभा का एक गोरवमयी इतिहास रहा है। प्रथम अध्यक्ष जीवंत राम से लेकर विपिन परमार तक का कार्यकाल उल्लेखनीय है। धर्मशाला के तपोवन में स्थित विधानसभा भवन के उचित उपयोग करने की बात लोकसभा स्पीकर के समक्ष उठाई और कहा कि वहां राष्ट्रीय ई अकादमी बनाने की मांग उठाई जिससे उस विधानसभा का सही से उपयोग हो सके।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश की वर्तमान प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 1 लाख 95 हजार हो गई है। हिमाचल स्टेटहूड के 50 वर्ष पूर्ण हुए है जिनमे अनेक कार्यक्रम होने है। उन्होंने प्रथम डोज में देश भर में प्रथम आने पर जनता को बधाई भी दी।

वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि शिमला देश के अंदर ऐतिहासिक क्षणों का साक्षी रहा है। सदन की गरिमा बनी रहे 100 साल के इस अधिवेशन के निर्णयों की समीक्षा व मंथन करेंगे। पीठासीन अधिकारी मिल कर जनता के कल्याण के लिए काम करना चाहिए। हमारा एजेंडा 100 साल की समीक्षा करना शासन की जवाबदेही को लेकर इस दो दिवसीय सम्मेलन में मंथन होगा।

उन्होंने कहा कि देश की सभी विधानसभाओं को पेपरलेस बनाने का प्रयास किया जाए। धर्मशाला में स्थित विधानसभा में ई एकेडमी के लिए अध्यक्ष व मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद किस तरह का इसका मॉडल बनाया जाए इस विचार विमर्ष के बाद निर्णय किया जाएगा। सदनों के अनुसाशन में कमी आयी है। सदनों की गरिमा को बनाये रखने के लिए सारे विषयों पर चर्चा की जाएगी।

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वर्चुअल जुड़े प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है यह कार्यक्रम हमारी जिम्मेदारी को बढ़ाता है। कोरोना की लड़ाई सभी राज्यों ने एकजुटता से लड़ी। भारत ने 100 करोड़ का वैक्सीन का आंकड़ा पूरा कर चुका है। भारत के भविष्य के सपने पूरे होंगे जो सभी राज्यों के प्रयासों से पूरे होंगे। नई विजन के साथ भविष्य के लिए नए नियम बनाने है। नीतियां कानून एक भारत श्रेष्ठ भारत को मजबूत करने वाली होगी। सदन में हमारा अचार व्यवहार भारतीय मूल्यों के आधार पर हो यह भी आवश्यक है। भारत विविधता के बीच एकता की अखंड धारा बहती है। हर दल में ऐसे प्रतिनिधि होते हैं जो राजनीति से परे लोगों की सेवा में खपा देते हैं। ऐसे प्रतिनिधियों के लिए कुछ दिन ऐसे रखे जा सकते है जिसमे वह अपने अनुभव बताए। इस पक्ष की जानकरी दे इससे दुसरो को भी सीखने का मौका मिलेगा। इससे राजनीति समृद्ध होगी इसके लिए कोई कमेटी गठित कर ली जाए।

बता दें कि सम्मेलन में 36 राज्य विधान परिषदों और विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारी उप पीठासीन अधिकारी व प्रधान सचिव भाग ले रहे हैं। कुल मिलाकर एक राज्य से 4 प्रतिनिधि अपनी स्पाउस़ के साथ इस सम्मेलन में भाग लेंने शिमला पहुंचे हैं जिनकी संख्या 288 है। सम्मेलन में भाग ले रहे प्रतिनिधियों की कुल संख्या 378 है। इस सम्मेलन में कई सुझाव आ रहे हैं। विधानसभा स्पीकर को फाइनेंस की शक्तियों को देने का भी सुझाव भी आया है। हालांकि सम्मेलन का ख़र्चा लोकसभा और हिमाचल सरकार आधा-आधा कर रही है।