प्रदेश सरकार ने यदि निजी बस ऑपरेटरों की मांगे नहीं मानी तो पूरे प्रदेश भर में 21 जून को निजी बसों के पहिये थमेंगे। किराये में बढ़ोतरी की मांग को लेकर निजी बस ऑपरेटरों ने 21 जून को सांकेतिक रूप से प्रदेश भर में निजी बसें न चलाने का ऐलान किया है। घुमारवीं में प्रदेश भर के सैकड़ों बस ऑपरेटरों की बैठक में यह फैसला लिया गया है। साथ ही चेतावनी दी गई है कि यदि मांगों को सरकार ने नहीं माना तो यूनियन हड़ताल को मजबूर होगी। बैठक यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पराशर की अध्यक्षता में हुई।
क्या हैं निजी बस ऑपरेटर्स की मांगे..
निजी बस ऑपरेटरों का कहना है कि सरकार की गलत नीतियों के चलते बस ऑपरेटर कंगाली की हालत में पहुंच गए हैं। सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगार युवाओं को रोजगार के नाम पर निजी बस के रूट आवंटित किए गए। युवाओं ने बैंकों से लाखों का ऋण लेकर वाहन खरीद लिए। कंडक्टर और ड्राइवर पद के रोजगार का भी सृजन किया लेकिन, अब उनके लिए खर्च चलाना मुश्किल हो गया है।
(आगे की ख़बर के लिए नीचे स्क्रॉल करें…)
उन्होंने कहा कि प्रति किलोमीटर एक रुपया 45 पैसे किराये की दर उस समय निर्धारित की गई थी, जब डीजल के दाम 46 रुपये प्रति लीटर थे। न्यूनतम किराये की दर भी 3 रुपये की गई। लेकिन वर्तमान में डीजल के दाम 70 रुपये है, जबकि किराये में कोई वृद्धि नहीं की गई है। यूनियन ने मांग की है कि न्यूनतम किराया हरियाणा और पंजाब की तर्ज पर 10 रुपये निर्धारित किया जाए। सामान्य किराये में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी समय की मांग है। यूनियन ने निजी बस ऑपरेटरों पर पूर्व सरकार द्वारा लगाए गए ग्रीन टैक्स को हटाने की मांग की है।