<p>छात्र अभिभावक मंच के प्रतिनिधिमंडल को प्राइवेट स्कूलों की मनमानी, लूट खसोट और भारी फीसों के मुद्दे पर निदेशक उच्चतर शिक्षा ने बातचीत के लिए बुलाया। इस दौरान निदेशक उच्चतर शिक्षा ने कहा कि नियमानुसार पीटीए के गठन, स्कूलों से किताबों की दुकानों को हटाने और एक ही दुकान से किताबों और ड्रेस खरीदने की अनिवार्यता को हटाने के लिए आज ही दिशानिर्देश जारी कर दिए जाएंगे। फीस को लेकर सभी प्राइवेट स्कूलों को कई बार नोटिस भेजे जा चुके हैं और शीघ्र ही इस संदर्भ में प्रदेश सरकार से इस मसले को उठाकर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालना करके भारी फीसों पर अंकुश लगाया जाएगा।</p>
<p>शिक्षा निदेशक ने कहा कि जो स्कूल पिकनिक, टूअर और ट्रिप के नाम पर छात्रों की लूट कर रहे हैं और इसे अनिवार्य कर रहे हैं, उन्हें आज ही नोटिस जारी करके इसे रोकने के निर्देश दिए जाएंगे। उन्होंने कहा की शिक्षा के अधिकार कानून के तहत प्रदेश सरकार के अनुमोदन से शीघ्र ही राज्य सलाहकार परिषद का गठन कर दिया जाएगा। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिया कि छात्रों व अभिभावकों की लूट नहीं होने दी जाएगी व वह इस मनमानी व लूट को रोकने के लिए निजी शैक्षणिक संस्थान(संचालन) अधिनियम 1997 और वर्ष 2003 के रुलज़ के अनुसार कड़े कदम उठाएंगे। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम में कुछ संशोधन करके निजी स्कूलों को और ज़्यादा जवाबदेह बनाया जाएगा।</p>
<p>मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने शिक्षा निदेशक से इन स्कूलों की मनमानी को रोकने के लिए दखल और हस्तक्षेप की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर निजी स्कूलों को संचालित करने के लिए कोई ठोस कानून और पॉलिसी न बनाई व इन स्कूलों की मनमानी ,लूट व भारी फीसों पर अंकुश न लगाया तो छात्र अभिभावक मंच का आंदोलन उग्र हो जाएगा। उन्होंने चिंता व्यक्त की है कि इस सरकार को सत्ता में आये सवा एक साल बीत चुका है परन्तु शिक्षा के अधिकार कानून के तहत आज तक राज्य सलाहकार परिषद का गठन भी नहीं हो पाया है। इसी से स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार शिक्षा को लेकर कितनी गम्भीर है।</p>
<p>मंच ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर नकेल कसने के लिए तुरन्त शिक्षा का अधिकार कानून 2009 को अक्षरतः लागू करे। उन्होंने कहा है कि शिक्षा का अधिकार कानून 2009 को बने दस साल हो चुके हैं लेकिन प्रदेश सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को इसके तहत संचालित करने की ज़हमत तक नहीं उठाई। मानव संसाधन विकास मंत्रालय वर्ष 2014 में अपनी अधिसूचना के ज़रिए स्पष्ट कर चुका है कि शिक्षा का अधिकार कानून प्राइवेट स्कूलों पर भी लागू होगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्राइवेट स्कूलों में छात्रों की केपिटेशन फीस,सिक्योरिटी व सेफ्टी आदि को मॉनिटर करने के लिए भी शिक्षा का अधिकार कानून में प्रावधान किया है। इसके तहत छात्रों व अभिभावकों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण देने के लिए निजी शैक्षणिक संस्थानों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने की बात की गई है।<br />
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