राजधानी शिमला में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। लोगों को सप्ताह भर से पानी नही मिला है। जिसके चलते जनता परेशान है और सड़कों पर उतर आई है। शहर के लोअर बाज़ार और मिडल बाज़ार की जनता ने पानी की किल्लत के विरोध में बीती रात दस से डेढ़ बजे तक सरकार और नगर निगम शिमला के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
लोगों ने नगर निगम कार्यालय के बाहर नारेबाजी की और मुख्यमंत्री आवास तक रैली निकाली। लोगों का कहना है कि नगर निगम शिमला के पार्षद की-मैनो पर दबाब बना रहे हैं और होटल मालिकों को पानी बेच रहे हैं। जिसकीं वजह से शिमला में पानी की व्यवस्था चौपट हो गई है। इससे पहले ऐसा कभी नही हुआ कि जनता को हफ्ते बाद भी पानी न मिला है। लोगों का आरोप है कि बीजेपी शासित निगम और सरकार दोनों ही जनता को पानी मुहैया करवाने में पूरी तरह विफल हो गए हैं।
नगर निगम शिमला कह रहा है कि पानी के स्त्रोत सुख गए है जिसकीं वजह से पानी कम आ रही है। जबकिं सच्चाई ये है कि पहले भी निगम के टैंकों तक गर्मियों में 30 एमएलडी से ज्यादा पानी नहीं पहुंचता था। फिर इस मर्तबा पानी के लिए हाहाकार क्यों? शिमला में पानी के अधिकतर प्राकृतिक स्रोत सुख चुके हैं औरव जो बचे हैं वहां का पानी पीने लायक नही है। बाबजूद इसके आज कल उन स्रोतों पर दिन रात लंबी लाइन देखने को मिल रही है।