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आपातकाल के दौरान जेल में रहे लोगों को पेंशन का प्रावधान, लेकिन सरकार के पास ऐसे लोगों का नहीं रिकॉर्ड

पी. चंद, शिमला |

हिमाचल प्रदेश में इंदिरा गांधी द्धारा लगाए गए आपातकाल के दौरान जेल में रहे नेताओं को सरकार ने पेंशन देने का फैसला लिया है। हिमाचल मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसकी मंजूरी दी गई है। कैबिनेट ने फैसला किया है कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक आपातकाल के दौरान जो नेता 15 दिन तक जेल में रहे ऐसे लोगों को 8000 रूपये और 15 दिन से ज्यादा जेल में रहे लोगों को 12000 रूपये प्रतिमाह पेंशन दी जाएगी।

हिमाचल प्रदेश की बात करें तो यहां मीसा के तहत पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, दौलत राम चौहान, राधा रमन शास्त्री, किशन चंद शर्मा, दुर्गा सिंह राठौर और नरोत्तम दत्त आदि दर्जनों नेता जेलों में बंद रहे। इसके साथ डीआईआर और अन्य धाराओं के तहत सैंकड़ो नेता जेल में रहे। कई नेताओं ने तो 21 माह तक जेल काटी। भाजपा नेता मोहन्द्र नाथ सोफत बताते हैं कि उन्हें अचानक घर से उठाकर जेल में डाल दिया था। कई नेताओं को जेल में डाला, साथ ही जिनके ऊपर सरकार को शंका थी ऐसे लोगों को भी जेल में डाल दिया गया। दुर्गा चंद, सत्या देव बुशहेरी, अनवर अली ख़ान, श्यामा शर्मा, मुनी लाल वर्मा, मोहेंद्र नाथ सोफत, केएल गुप्ता, ओपी मोदगिल, जगत नेगी, आईसी गुप्ता, प्रेम चंद गुप्ता, प्रेम बाखरू, जाखमी,धर्म सिंह, रोशन लाल बाली, राजेश कपूर व बीएम लाल आदि नेता अन्य धाराओं भी जेलों में रहे।

सरकार ने भले ही ऐसे लोगों के लिए पेंशन देने का फैसला लिया है। लेकिन ऐसे लोगों और उनकी विधवाओं का सही आंकड़ा सरकार के पास नहीं है। जानकारी के मुताबिक़ प्रदेश में 5 से 6 दर्ज़न ऐसे व्यक्ति या उनकी विधवाएं हैं जो अब प्रदेश में जिंदा हैं जिनके लिए ये प्रावधान किया गया है। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने बताया कि आपातकाल देश के लिए एक काला अध्यय था। जिन लोगों को जबरन जेल में डाला ऐसे लोगों और उनकी विधवाओं को पेंशन का प्रावधान किया गया है। लेकिन सरकार के पास इनका रिकॉर्ड नहीं है।

गौरतलब है कि 45 साल पहले 25 जून 1975 को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के तहत देश में आपातकाल लगा दिया था। आपातकाल 21 मार्च 1977 तक 21 महीने चला था।