<p>हिमाचल प्रदेश की आधी आबादी कुपोषण की शिकार हो चुकी है। जिसके चलते प्रदेश सरकार कुपोषण को कम करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चला रही है। कुपोषण का मुख्य कारण पर्याप्त संतुलित आहार न मिल पाना है। प्रदेश के पांच जिलों में खासकर 0-6 साल के बच्चे और 15 से 45 साल की महिलाएं सामान्य से कमजोर पाई गई हैं, जिसके चलते हमीरपुर, चंबा, सोलन, शिमला और ऊना जिले में रेड अलर्ट जारी कर किया है।</p>
<p>विभागीय सर्वे के मुताबिक इन पांच जिलों में ज्यादा लोग कुपोषण से ग्रसित हैं। दरअसल विभाग ने अनीमिया, जन्म के समय बच्चे का भार कम होना, बौनापन और ऊंचाई के हिसाब से भार कम होने पर सर्वे किया था।</p>
<p>बता दें कि कुपोषण का सबसे ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिला है। सितंबर महीने को पोषण अभियान के रूप में मनाया जा रहा है। जिसमें स्कूल, कॉलेज, आंगनबाड़ी केंद्र और गांवों में जाकर कुपोषण के बारे में जागरूक किया जा रहा है। पौष्टिक भोजन पकाने के तरीके बताए जा रहे हैं।</p>
<p>इस संबंध में स्वास्थ्य भारत प्रेरक खुशबू महेश्वरी ने बताया कि कुपोषण को रोकने के लिए पोषण अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने माताओं को सलाह दी है कि वह बच्चे के जन्म के बाद 1000 दिन तक खान पान का विशेष ध्यान रखें।</p>
<p>वहीं, हिमाचल प्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी तिलक राज आचार्य ने बताया कि सर्वे के मुताबिक पांच जिलों में ज्यादा लोग कुपोषित पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि कुपोषण को रोकने के लिए सरकार की ओर से अहम कदम उठाए जा रहे हैं।</p>
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