<p>हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात अच्छे नही है। स्टॉफ की कमी से जहां सरकारी अस्पतालों की स्थिति दयनीय है तो वहीं निज़ी संस्थानों की दुर्दशा भी किसी से छिपी हुई नही है। डायलिसिस की सुविधा को सरकार निज़ी हाथों में देकर अपनी पीठ तो थपथपा रही है। लेकिन तकनीकी स्टाफ के अभाब में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की जान ख़तरे में है।</p>
<p>शिमला में आईजीएमसी में पहले से ही डायलिसिस है लेकिन यहां सिर्फ दाखिल किए हुए मरीज़ों को ही डायलिसिस दिया जाता है। हाल ही में रिपन अस्पताल में भी डायलिसिस की सुविधा निज़ी क्षेत्र के सहयोग से शुरू की है।इसके अलावा शिमला के चलौंटी में पूरी तरह निज़ी रीनल डायलिसिस सेन्टर चल रहा है। लेकिन उसमें तकनीकी स्टाफ है ही नहीं साथ मे डायलिसिस के समय डॉक्टर का होना भी जरूरी होता है। वह भी इस सेन्टर में नहीं है।</p>
<p>सूचना के मुताबिक डॉक्टर मंडी में बैठता है लेकिन पिछले जून माह से वह सिर्फ तीन मर्तबा ही शिमला पहुंचा है। एक टेक्नीशियन के सहारे ये सेंटर चल रहा था। लेकिन कुछ समय से वह भी यहां नहीं आ रहा है। अब जमा दो की एक महिला और अनुभवहीन नर्स के सहारे ये डायलिसिस सेंटर है। जरा से चूक से किसी की मौत यहां हो सकती है लेकिन देखने पूछने वाला कोई नहीं।</p>
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