<p>हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के पर्यटन विभाग के विधार्थी हरीश गौतम ने पर्यटकों के शॉपिंग व्यवहार विषय पर अपना शोध कार्य संपन्न किया है। इस शोध का विषय हिमाचल प्रदेश में पर्यटकों का शॉपिंग व्यवहार: खरीददारी के केंद्रो का तुलनात्मक अध्ययन है, जिसे बहुत से सटीक पैमानों पर संपन्न करने का प्रयास किया गया है। विभाग के प्रोफेसर(डॉ) चंद्रमोहन परशीरा इस शोध कार्य के पर्यवेक्षक थे, जिनकी निगरानी में ये शोध कार्य संपन्न किया जा सका। इस शोध में हिमाचल प्रदेश में आने वाले पर्यटकों के यात्रा से संबधित अनुभव और यात्रा के दौरान किये गए उनके शॉपिंग व्यवहार का विस्तृत रूप से अध्ययन है।</p>
<p>इस शोध में बताया गया है कि किस तरह का पर्यटक हिमाचल प्रदेश में घूमने के लिए आता है, उनकी शैक्षणिक योग्यता क्या है, उनकी मासिक आमदनी कितनी है, पर्यटक कितने दिन तक हिमाचल प्रदेश में घूमने की योजना बनाता है। इन प्रश्नों से पर्यटकों की व्यक्तिगत जानकारी जुटाने का प्रयास किया गया है। साथ ही यह भी शोध किया गया है की खरीददारी के लिए पर्यटकों का पसंदीदा स्थान कौन सा है और क्यों है। इसके साथ शोध के माध्यम से यह जानने का प्रयास भी किया गया है कि पर्यटक, हिमाचल में कौन सा उत्पाद खरीदता है और उसे खरीदने के पीछे क्या प्रेरणा है इसका अध्ययन भी किया गया है। शोध में उन सभी समस्याओं के समाधान का मार्ग भी प्रशस्त किया गया है जिनसे भविष्य में आने वाले पर्यटकों को हिमाचल प्रदेश में खरीददारी का आदर्श वातावरण मुहैया करवाया जा सके।</p>
<p>शोध में बाज़ार के सतत् संचालन व दुकानदार के पर्यटकों के साथ अनुभव और व्यवहार का अध्ययन है। जिससे आने वाले समय में इन दोनों के आपसी रिश्तों को और अधिक मजबूत बनाया जा सके। हिमाचल प्रदेश के विभिन्न लघु उद्योगों जैसे हथकरघा उद्योग, शिल्पकार, मूर्तिकला, चित्रकला, नक्काशी कला इत्यादि का वर्णन किया गया है और इन समस्त कलाओं के वर्धन पर बल दिया गया है। इन कलाओं के पुनरुत्थान और इससे संबधित लोगों के जीवन को सुरक्षित करने के उदेश्य से प्रस्तावित इंन्वेस्टर मीट में इसका मसौदा तैयार किया जा रहा है । जिससे पर्यटकों और ऐसे लघु उद्योगों के संचालन करने वाले सभी लोगों को इसका लाभ मिल सके। इस शोध को आधार बनाकर हिमाचल प्रदेश में ऐसी इकाइयां स्थापित करने का प्रयास किया जा सकता है। जिससे हिमाचल प्रदेश में हस्तकला से निर्मित उत्पादों को बाज़ार में लाया जा सके और पर्यटक जो की पहले ही हिमाचल प्रदेश के निर्मित उत्पादों का दीवाना है उसे भी लाभ मिलेगा।</p>
<p>इस विषय को इंन्वेस्टर मीट में प्रमुखता से उठाया जायेगा और ऐसे हस्तशिल्प जिन्होंने बाज़ार के अभाव में अपनी इस कला को छोड़ दिया है या जो छोड़ने को मजबूर है उनके पुनरुत्थान का प्रयास भी किया जायेगा। इसके लिए आने वाली पीढ़ियों को इन कलाओं से अवगत करवाया जायेगा जिसके लिए प्रशिक्षण, उत्पाद एवं विपणन इकाइयां स्थापित करने का प्रस्ताव दिया जायेगा। इस शोध से निश्चित रूप से प्रदेश को लाभ मिलेगा और आने वाले समय में शॉपिंग पर्यटन को प्रदेश में बढ़ावा मिलेगा।</p>
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