शिमला: शिमला से लगभग 65 किलोमीटर दूरी पर स्थित पर्यटन स्थल पर्यटकों के लिए तो आकर्षण का केन्द्र है, लेकिन समस्याएं यहां भी लोगों का पीछा नहीं छोड़ती हैं. किन्नौर से लेकर स्पीति तक जाने वाले लोग और पर्यटक यहीं से गुजरते हैं.
हैरानी की बात है कि यहां बने ढाबों और रेस्तरां में टॉयलेट तक नहीं बने हैं. वहां आप खाना पीना तो कर सकते हैं लेकिन टॉयलेट नहीं जा सकते, क्योंकि यहां पानी की कमी के चलते टॉयलेट नहीं बनाएं गए हैं. यही वजह है कि अब गन्दगी भी फैल रही है.
नारकंडा ऐसी जगह है जहां खाने के लिए रुकना लोगों की मजबूरी है. बावजूद इसके यहां पानी तीन चार दिन बाद ही मिलता है. पानी के लिए कोई बड़ी योजना नहीं है. छोटी योजनाओं पर ही पानी के लिए निर्भर रहना पड़ता है.
ढाबे और रेस्टोरेंट मालिकों का कहना है कि पानी की इतनी किल्लत है कि पीने का पानी भी टैंकरों से मंगवाना पड़ता है. ऐसे में टॉयलेट में पानी न होने से गन्दगी फैलती है. यही वजह है कि यहां टॉयलेट नहीं बनवाए गए हैं.
इस बाबत जब स्थानीय विधायक राकेश सिंघा से पूछा गया तो उन्होंने माना कि यहां पानी की किल्लत रहती है. इस समस्या के लिए सरकार ही जिम्मेदार है, जिसने आज तक नारकंडा में पानी के बारे में नहीं सोचा. हालांकि विधायक महोदय भी नारकंडा को पानी की समस्या से निजात दिलाने पर कुछ नहीं कह पाए.
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