कोरोना काल में स्वास्थय विभाग के एक बड़ा घोटाला सामने आया है। सूचना के अधिकार (RTI) में खुलासा हुआ है कि कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग के कुछ आला अधिकारियों ने जमकर मनमानी की। तथ्यों के साथ एक विस्तृत शिकायत प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजी गई है। इसके अनुसार खाली गैस के सिलेंडर जहां पर लगभग दोगुने दामों पर खरीद कर सरकार को 3 करोड़ के लगभग चूना लगा दिया है। वहीं, 500 रूपए में मिलने वाला ऑक्सीमीटर 2950 रूपए में खरीदा गया। रोचक तो यह है कि महकमे ने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के माध्यम से की जिसका स्वास्थ्य सेवाओं और इसके सामान के साथ कोई लेदा देना ही नहीं है।
स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन गैस और सिलेंडरों की सप्लाई को लेकर उत्पादकों ने सरकार के कुछ आला अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इसे लेकर उत्पादकों ने जहां सरकार को कोरोना काल में ही करोड़ों रूपए का चूना कोरोना काल में लगाने के गंभीर आरोप लगाया है। वहीं, दूसरी तरफ अनुभवी और गुणात्मक उत्पाद के लिए मशहूर दो दशक पुरानी फर्मों को इस सप्लाई से बाहर करने का घिनौना खेल खेलने का भी आरोप है। ऑक्सीजन गैस की दुनिया में दो दशक पुराना नाम एन आईएसओ 9001:2008 मंडी की मांडव एयर इंडस्ट्री और आरडी गैस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा भेजे गए इस पत्र कही प्रतियां प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, सचिव स्वास्थ्य और निदेशक को भेजी गई हैं।
इसकी प्रतियां उन्होंने पत्रकारों को जारी करते हुए बताया कि कोविड 19 के चलते भी अधिकारियों ने सरकार को चूना लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन फर्मों के संचालकों आरपी कपूर और सुधांशू कपूर द्वारा भेजे गए इन पत्रों में कहा गया कि कोरोना काल में प्रदेश के अस्पतालों को गैस सिलैंडर और गैस सप्लाई करने में दिन रात लगे हुए हैं। मानवीय दृष्टिकोण से भी मदद कर रहे हैं, टांडा मेडिकल कॉलेज और आईजीएमसी में पहले से ही उनकी सप्लाई तय दरों पर चल रही है। सरकार को डी साइज का सिलैंडर 13500 और बी साइज का 9100 रूपए में पुरानी दर पर ही देने की पेशकश भी लिखित तौर पर की थी और इस दर पर वह कर भी रहे हैं। मगर इसके बावजूद भी प्रदेश के 6 अस्पतालों में पाइप लाइन बिछाने और सिलेंडर सप्लाई का ठेका केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के माध्यम से दिल्ली की एक फर्म को 5 करोड़ 65 लाख दिया गया जिसमें 13500 वाला सिलैंडर 18500 और 9100 वाला 15750 में सप्लाई किया गया। यह सब ऑन रिकार्ड दर्ज है।
इसके दस्तावेज दिखाते हुए इन्होंने कहा कि अब जहां उन्हें पंजाब तक से ऑक्सीजन सप्लाई की मांग सरकार के माध्यम से आ रही है। क्योंकि उनका एक लंबा अनुभव इस क्षेत्र में है तो प्रदेश सरकार को बदनाम और अस्थिर करने की कोशिश में लगे कुछ अधिकारी जो हर सरकार में इस तरह के काम करने में मशगूल रहते हैं, की पूरी कोशिश है कि ऐसी फर्मों को काम दिया जाए जिनका न तो कोई नाम है, न उत्पाद में कोई गुणवत्ता है। यहां तक कि उन्हें बाहर करने के लिए ऐसी फर्मों जिनका कोई नामलेवा नहीं है के लिए सारे नियम और शर्तें जो राष्ट्रीय स्तर पर तय होती है को दरकिनार किया जा रहा है। यहां तक कि अवार्ड किए गए टैंडरों को भी रद्द किया जा रहा है। जबकि इस समय कोविड काल में ऑक्सीजन के बेतहाशा मांग है और हजारों लोगों की जिंदगियों का सवाल है। चहेती फर्मों के लिए कुछ अधिकारी लोगों की जिंदगियों से खेल रहे हैं ताकि सरकार बदनाम हो। हिमाचल की इंडस्ट्री को फेल करके मुख्यमंत्री को भी नुकसान पहुंचाने का सरेआम खेल चल रहा है।