फिसलन कम हुई मगर धूल में हो गया इजाफा, लोगों का आ रही है वीरभद्र सिंह की याद
मंडी: प्रदेश के पांच जिलों के जोनल मुख्यालय मंडी के प्रवेश द्वार विश्वकर्मा चौक की बदहाली को लेकर जब सुर्खियां बनी तो मरम्मत के नाम पर गुरूवार को लोक निर्माण विभाग ने सुबह ही मजदूरों की एक टोली यहां भेज दी। मजदूरों के हाथ में जो था उन्होंने कर दिया क्योंकि यहां गड्ढे भरने के लिए तारकोल, बजरी या सोलिंग जैसा कोई मटीरियल उपलब्ध नहीं था। नतीजन मजदूरों ने आधे दिन में इन गड्ढों में यहां पर बरसात में गिरे ल्हासे से मिट्टी उठाकर इनमें भर दी। नालियों में फसा मलबा भी कुछ हिला दिया। इससे पानी का सड़क पर बहना तो रूक गया मगर मिट्टी से हालत और अधिक बदतर होने लगी क्योंकि यह मिट्टी धूल बन कर शहर में पहुंच रही है।
कालेज रोड़ के लोगों व दुकानदारों का तो जीना हराम हो गया है। नगर निगम के कारिंदों ने कोई संज्ञान नहीं लिया जिससे नालियों में जमा गंदगी बरकरार हैं। बंद नालियों को साफ करने के नाम पर महज लीपापोती ही की गई। साथ ही मरम्मत के नाम पर भी मजाक से ज्यादा कुछ नहीं हुआ। इतना जरूर हुआ कि सड़क पर पानी का जाना बंद हुआ तो सड़क सूख गई और गुरूवार को फिसलन कम हो गई। ऐसे में जहां बुधवार को आधा दर्जन से अधिक दोपहिया वाहन यहां स्किड हुए थे, वह क्रम गुरूवार को थमा रहा। शहर के लोग हैरान है कि जब यह छोटा सा काम ही विभाग, प्रशासन व नगर निगम से नहीं हो रहा है तो बड़े काम कैसे होंगे।
लोगों का साफ आरोप है कि अफसरशाही को किसी का भी डर नहीं है। जनता की किसी को परवाह नहीं है। वीरभद्र सिंह जब मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने मंडी जिले के दौरे में मंडी से गोहर जाते हुए जब नेरचौक के पास टूटी सड़क पर पड़े गड्ढों को मिट्टी से भरते पाया तो एकदम से इसे रूकवाया और इसमें सही तरीके से पत्थर डाल कर उसे भरने के आदेश दिए। यही नहीं उस दिन उन्होंने गोहर की जनसभा में साफ चेतावनी दी कि यदि लोक निर्माण विभाग के अधिकारी इसी तरह से मनमानी करके जनता को परेशान करेंगे, सड़कों के गड्ढे मिट्टी से भर कर लोगों को धूल परोसेंगे तो उन्हें उनके पद से डिमोट कर दिया जाएगा। इस हुड़की ने काम किया और सभी सड़कें सही तरीके से मरम्मत होने लगी। अब लगता है कि कोई सुनने वाला नहीं। खास कर मंडी वालों की तो किसी को परवाह नहीं।
पहले तो जिले के धर्मपुर से जीते कांग्रेस के एकमात्र विधायक चंद्रशेखर ठाकुर जिला मुख्यालय पर आ जाते थे, यहां के लोगों की परेशानियां सुन लेते थे, अधिकारियों को आदेश दे देते थे मगर अब वह भी धर्मपुर तक सीमित हो गए हैं क्योंकि बार बार उनका नाम आने के बावजूद भी उन्हें सरकार में कहीं भी एडजस्ट नहीं किया गया। ऐसे में बताते हैं कि वह बेहद मायूस हैं। पहले कहा जा रहा था कि उन्हें विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाया जाएगा मगर अब तो वह पद भी भर गया है । अब देखना होगा कि मंडी जिले का यह राजनीतिक सूखा कांग्रेस के लिहाज से कब खत्म होगा और कब लोगों की सुनवाई होना शुरू होगी।
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