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RSS की नाराजगी जेपी नड्डा को पड़ेगी ‘भारी’? क्या चुनाव में भाजपा ने की ‘अहंकार की सवारी’?

क्या भाजपा अध्यक्ष एवं एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने बड़ी गलती कर दी है? क्या जेपी नड्डा की इसी गलती या चूक का खामियाजा खुद पीएम मोदी और भाजपा पार्टी भुगतने लगी है? लोकसभा चुनाव में भाजपा को हुए नुकसान के पीछे क्या जेपी नड्डा का वो बयान है, जिसकी चर्चा आज देश भर में हो रही है.. आखिर आरएसएस बार बार भाजपा को क्या इशारा कर रहा है. लोकसभा चुनावों के बाद आरएसएस बार बार भाजपा को क्यों खुलेआम घेरता दिख रहा है? क्यों केंद्र में अब मोदी सरकार की जगह एनडीए सरकार सत्ता में है..और आखिर क्यों विपक्ष का इंडिया गठबंधन अपने आपको एनडीए सरकार के सामने एक मजबूत विपक्ष के तौर पर देख रहा है.. आईए आपको सिलसिलेवार बताते और समझाते हैं कि आखिर RSS भाजपा से क्यों नाराज है.. और देश भर में पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को लेकर इतना सियासी घमासान क्यों मचा है.

दरअसल, लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से भी RSS भाजपा को अपने निशाने पर लेता दिख रहा है.. पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था.. अब कार्यवाहक सर-संघचालक इंद्रेश कुमार ने भी भाजपा का नाम लिए बगैर करारा तंज कसा है.. संघ के पदाधिकारियों के बयानों से कई लोग ये सोच रहे हैं कि संघ हमेशा से भाजपा का समर्थक रहा है..उसके बावजूद अब अचानक ऐसा क्या हो गया कि भाजपा के खिलाफ बयान दिए जा रहे हैं.. दरअसल, ये सब अचानक नहीं हुआ है… संघ और भाजपा के बीच 6 महीने पहले से ही दूरियां बढ़नी शुरू हो गई थी.. कुछ दिन पहले ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत चुनाव- राजनीति और राजनीतिक दलों के रवैये पर खुलकर बोले थे.. उन्होंने कहा था जो मर्यादा का पालन करते हुए कार्य करता है, गर्व करता है, किन्तु लिप्त नहीं होता..वो अहंकार नहीं करता..और वही सही अर्थों मे सेवक कहलाने का अधिकारी है.. भागवत ने कहा था कि जब चुनाव होता है तो मुकाबला जरूरी होता है.. दूसरों को पीछे धकेलना भी होता है, लेकिन इसकी एक सीमा होती है.. ये मुकाबला झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए..इसके अलावा भागवत ने मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र सरकार को सीधे तौर पर कटघरे में खड़ा कर दिया था.

अब मोहन भागवत के बाद आरएसएस के बड़े नेता इंद्रेश कुमार ने भाजपा को आईना दिखाने की कोशिश की है.. उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि जिन लोगों ने अहंकार में रहकर अत्याचार किया, भगवान राम ने उनसे कहा कि वे पांच साल तक आराम करें.. ईश्वर आगे तय करेगा कि उन लोगों का क्या करना है.. राजस्थान के जयपुर में इंद्रेश कुमार ने कहा कि जो पार्टी भगवान राम की पूजा करती थी, वो अहंकारी हो गई है.. इंद्रेश कुमार के मुताबिक, 2024 में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी तो बनी, पर उसे पूर्ण बहुमत न हासिल हुआ.. आरएसएस नेता ने दावा किया कि प्रभु राम ने भाजपा के अहंकार के चलते उसे बहुमत हासिल करने से रोक दिया.

संघ सूत्रों का कहना है कि इस बार भाजपा के कार्यकर्ता संघ के पदाधिकारियों से अपेक्षित सहयोग करने के लिए तैयार नहीं थे.. कई सीटों पर भाजपा नेताओं को सब कुछ ठीक न होने की जानकारी भी दी गई थी, लेकिन इस पर समय रहते कोई एक्शन नहीं लिया गया.. उलटे जिन उम्मीदवारों के बारे में संघ से नकारात्मक संकेत दिए गए थे, उन्हें भी टिकट पकड़ा दिया गया..जिसके बाद पार्टी को इसका चुनावों में भारी नुकसान उठाना पड़ा.. दरअसल, काफी लंबे समय से इस बात के संकेत मिल रहे थे कि दोनों संगठनों के बीच सब कुछ ठीक ठाक नहीं है.. इसका सबसे पहला संकेत तब मिला था, जब आरएसएस ने अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने पर आयोजित होने वाले भव्य कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया था.. संगठन लगभग दो साल से इस बात की योजना बना रहा था, कि संघ की स्थापना के सौ साल पूरे होने पर 2025 में पूरे देश में भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.. लेकिन अचानक ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अप्रैल में नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ये घोषणा कर दी थी, कि संघ अपने जन्मशती के कार्यक्रम को भव्य तरीके से नहीं मनाएगा.. उन्होंने कहा कि संघ बेहद सादगीपूर्ण तरीके से सामाजिक परिवर्तन के लिए काम करता है, संघ के स्वयंसेवक यह काम करते रहेंगे, लेकिन संघ की स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने पर कोई भव्य कार्यक्रम नहीं आयोजित किए जाएंगे.. उधर, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इन तनावों को कभी सतह पर नहीं आने दिया..लेकिन उनके एक बयान की उस वक्त काफी चर्चा हुई थी, जिसमें उन्होंने कह दिया था कि भाजपा अब काफी परिपक्व हो चुकी है और उसे अब आरएसएस के सहयोग की आवश्यकता नहीं है.

नड्डा का ये बयान बेहद संतुलित संदर्भों में था, लेकिन इसका आशय यही निकाला गया कि भाजपा-आरएसएस में तनाव ज्यादा है.. ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी को नड्डा के बयान का नुकसान भी उठाना पड़ा है.. फिलहाल जगत प्रकाश नड्डा के भाजपा अध्यक्ष बने रहने का कार्यकाल भी जल्द ही खत्म होने वाला है..और नड्डा को एनडीए सरकार के मंत्रिमंडल में जगह भी दी गई है.. लेकिन अब आरएसएस की इस नाराजगी के बीच चर्चा ये है कि जो भी नया भाजपा का अध्यक्ष बनेगा को बिना आरएसएस की रजामंदी के नहीं बनेगा.. अब देखना ये है कि आरएसएस की रजामंदी से नड्डा की जगह किसको भाजपा का अध्यक्ष बनाया जाता है.. लेकिन इस बीच संघ की भाजपा से नाराजगी पर इंडिया गठबंधन दलों ने एनडीए सरकार और पीएम मोदी को चौतरफा घेर लिया है.. आप खुद सुनिए विपक्ष के नेताओं का क्या कहना है.

आपको बता दें कि केंद्र में भाजपा की सरकार अब सहयोगी दलों के सहारे है.. भाजपा को एनडीए के विभिन्न सहयोगी दलों का साथ लेना पड़ रहा है.. ऐसे में इस साल महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं, तो वहीं अगले साल दिल्ली और बिहार के चुनावों में भाजपा नेतृत्व की परीक्षा होनी है.. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ-साथ कम से कम चार-पांच राज्यों में अध्यक्षों का बदलाव भी होना है.. अगर ऐसे समय में आरएसएस और भाजपा दोनों संगठनों में आपसी तालमेल बेहतर नहीं रहता है, तो भाजपा को इसका नुकसान आगे भी उठाना पड़ सकता है.. और इस कमजोरी का सीधे तौर पर फायदा इंडिया गठबंधन उठाता दिखेगा.

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