अनुसूचित जाति वर्ग को शैक्षणिक, आर्थिक सामाजिक, अधिकार और न्याय दिलाने के लिए लगातार आवाज बुलन्द की जाती है, लेकिन सरकारें खुले मन से संवेदनशीलता नहीं दिखा रही। सरकारें अधिकार देने का मात्र दिखावा कर रही हैं। संविधान के प्रावधानों का खुल्लम-खुल्ला अतिक्रमण व अनादर हो रहा है। यह आरोप अनुसूचित जाति महासंघ ने सरकार पर लगाया है।
अनुसूचित जाति महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष मीरसुख ने शिमला में कहा कि सविधान में अनुसूचित जाति के लिए जिन आर्थिक अधिकारों का प्रावधान किया गया है उन्हें सरकार सही तरीके से लागू नहीं कर रही है। इससे आर्थिक अधिकारों का शोषण हो रहा है। प्रदेश में 25 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या अनुसूचित जाति वर्ग की है। अनुसूचित जाति के लिए उप-योजना बनाई जाती है उसका भी लाभ नहीं मिल पाता है। वह मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से मिलेंगे और अपने अधिकारों को सही तरीके से लागू करने की मांग उठाएंगे।
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