<p>सिराजघाटी के सेब बगीचों में स्केब रोग फैलने से हजारों बागवानों में हड़कंप मच गया है। सेब की फसल तैयार होने को है और स्केब रोग के फैलने से बागवानों के चेहरे मुरझा गए हैं। बगस्याड, थुनाग, जंजैहली, ढीम कटारु, सँगलवाड़ा, गतु, खौली और गाड़ा गुशैंनी समेत आसपास के इलाकों में सेब की फसल को स्केब रोग ने चपेट में ले लिया है। स्केब रोग फैलने की सूचना मिलते ही उद्यान विभाग सिराज और गोहर की टीम ने उद्यान उपनिदेशक अशोक कुमार धीमान की अध्यक्षता में सेब से प्रभावित इलाकों का दौरा किया और सेब फलों में लगे स्केब रोग की जांच की। बागवानी कालेज थुनाग स्थित विषयवाद विशेषज्ञ डॉ चिन्तराम ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि उपरोक्त गांवों में सेब फलों में स्केब रोग के लक्षण पाए गए हैं। उन्होंने बताया कि फफूंद के कारण रोग फैला है। जब हवा में नमी 80 फीसदी अधिक हो तो इसका जीवाणु सेब फलों में घर कर जाते हैं। जहां घने बगीचे हैं और धूप कम लगती है तो आर्द्रता बढ़ने से स्केब लगता है। बरसात में धुंध भी स्केब का कारण होता है। पूर्व पति झड़न के रोग का भी खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि बागवानों को स्केब की रोकथाम के लिए छिड़काव के प्रति जागरूक कर दिया गया है। सराजघाटी सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष चतर सिंह ठाकुर ने बताया कि स्केब रोग फैलने से बागवान चिन्तित है। बागवानों रमेश ठाकुर, ललित शर्मा, पुष्प राज, अरुण राज, बंटी ठाकुर, प्रकाश ठाकुर और राजू ने बताया कि सेब बगीचों में स्केब के लक्षण पाए गए हैं</p>
<p>बागवानी विशेषज्ञ डॉ एसपी भारद्वाज ने बताया कि इंटरा कोल 600 ग्राम 200 लीटर पानी में, कम्पेनईन्स 500 ग्राम 200 लीटर पानी मे, जेड 78 600 ग्राम 200 लीटर पानी मे करें। उन्होंने बताया कि 15 – 20 दिनों में यही स्प्रे पत्ते सूखने पर दोबारा करें। उद्यान उपनिदेशक अशोक कुमार धीमान ने बताया कि बागवान घबराएं नही बल्कि बीमारी की रोकथाम के लिए जल्द छिड़काव करें</p>
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