<p>प्रदेश में करोड़ों के छात्रवृति घोटाले की विभागीय जांच में कई खुलासे सामने आने लगे है। प्रदेश के छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में अधिकतर मामले ऐसे हैं जिनमें निजी संस्थानों के नाम सामने आ रहे हैं। राज्य से बाहर 23 शिक्षण संस्थान ऐसे हैं जिन्हें विभाग की ओर से पोस्ट-मेट्रिक छात्रवृति योजना के तहत करोड़ों की राशि जारी की गई है।</p>
<p>अब विभाग इन संस्थानों से किए गए आवेदनों के दस्तावेज खंगालने में जुटा हैं। आवेदनों को चैक कर पता लगाया जा रहा है कि क्या इन संस्थानों द्वारा किए गए आवेदनों में छात्रों के दस्तावेज सही हैं या कहीं फर्जी तो नहीं हैं। इसके लिए छात्रों के आधार कार्ड और उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्र, सहित दस्तावेजों की जांच की जा रही है। आवेदनों में दिए गए फोन नबंर पर अधिकारी फोन कर छात्रों से इस संबंध में पूछताछ भी कर रहे हैं।</p>
<p>वहीं मिली जानकारी के तहत छात्रवृत्ति से जुड़े एक मामले में की गई जांच में सामने आया है कि दस्तावेजों में छात्र बी.टैक कर रहा है, लेकिन जब फोन कर उससे बात की गई तो पता चला कि छात्र एम.ए. संस्कृत कर रहा है जबकि विभाग से उस छात्र को बी.टैक डिग्री कोर्स के लिए छात्रवृति कर राशि जारी की गई है। ऐसे कई मामलों की विभाग इस दौरान जांच कर रहा है। ऐसा ही एक और मामला विभाग के पास आया है जिसमें छात्र को किसी निजी संस्थान ने अपना छात्र बता कर छात्रवृत्ति ले ली है।</p>
<p>जबकि छात्र का प्रवेश इस संस्थान में था ही नहीं। जब किसी अन्य संस्थान में छात्र ने प्रवेश लिया और छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया तो छात्र को इस बात की जानकारी मिली कि उसे पहले ही यह छात्रवृत्ति जारी की जा चुकी हैऑ। वहीं इस मामले को भी विभाग ने आगे शिक्षा सचिव को सौंप दिया है। हालांकि सरकार ने छात्रवृत्ति घोटाले में बाहरी राज्यों के संस्थानों की अधिक संलिप्तता को देखते हुए मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की है लेकिन सीबीआई की जांच शुरू होने से पहले विभाग भी जांच कर ऐसे मामलों की रिपोर्ट तैयार कर रहा है जिसे सीबीआई को जांच के समय सौंपा जाएगा।</p>
<p>बता दें कि शिक्षा विभाग ने भी छात्रवृत्ति घोटाले के बाद अब सर्तकता बरतनी शुरू कर दी है। पोर्टल के पुराने पास वर्ड बदल कर नए पासवर्ड तय किए गए हैं। विभाग को संदेह था कि कहीं छात्रवृत्ति पोर्टल के पासवर्ड लीक न हुए हों। इसके चलते शिक्षा विभाग ने पोर्टल के सभी पासवर्ड बदले हैं। ये पासवर्ड छात्रवृति शाखा के कुछ एक कर्मचारियों और अधिकारियों को ही बताए गए हैं और इन्हें समय रहते रहते मोडिफाई भी किया जाएगा।</p>
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