<p>छात्र अभिभावक मंच ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी और लूट पर प्रदेश सरकार की खामोशी की कड़ी निंदा की है। मंच ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग की इसी खामोशी के कारण निजी स्कूलों की मनमानी को मूक समर्थन मिल रहा है और ये स्कूल 18 मार्च की शिक्षा निदेशालय की अधिसूचना के बावजूद छात्रों और अभिभावकों पर भारी फीसें लाद रहे हैं। मंच ने एलान किया है कि आंदोलन के दूसरे चरण में 28 मार्च को चेप्सली स्कूल लोंगवुड के बाहर प्रदर्शन होगा।</p>
<p> मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि निजी स्कूलों की मनमानी, लूट व भारी फीसों के खिलाफ 8 अप्रैल को सैकड़ों लोग शिक्षा निदेशालय पर जबरदस्त प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि निजी स्कूल मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं। जहां इन स्कूलों के द्वारा फीसों में भारी बढ़ोतरी की जा रही है वहीं आई कार्ड के नाम पर भी भारी ठगी की जा रही है। इसके अलावा पिकनिक को स्वैच्छिक करने के बजाए अनिवार्य करके अभी भी हज़ारों रुपये वसूले जा रहे हैं।</p>
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<p>मनमानी इस कदर बढ़ चुकी है कि चेप्सली जैसा स्कूल प्लस वन में छात्रों से दसवीं के मुकाबले में लगभग ढाई गुणा राशि वसूल रहा है। प्लस वन में दाखिल होने वाले छात्रों से स्कूल के प्रबंधन ने दसवीं में लगभग अट्ठाइस हज़ार रुपये फीस वसूली थी परन्तु प्लस वन में यह स्कूल इन छात्रों से कला,वाणिज्य विज्ञान संकाय के लिए अब तिरसठ हज़ार से लेकर पैंसठ हज़ार रुपये फीस वसूल रहा है। एक ही वर्ष में यह लगभग 232 प्रतिशत अथवा ढाई गुणा की फीस बढ़ोतरी है।</p>
<p> इसी तरह इस स्कूल की पहली से दसवीं कक्षा तक कि फीस 2014 व 2019 के मध्य ग्यारह हजार रुपये से बढ़कर लगभग इकत्तीस हज़ार रुपये हो गई है जोकि लगभग तीन गुणा बढ़ोतरी है। यह खुली लूट है व निजी स्कूलों की शैक्षणिक अराजकता नहीं तो और क्या है। इस तरह यह निजी स्कूलों की मनमानी है जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस पर हर हाल में रोक लगनी चाहिए। चेप्सली स्कूल की इस मनमानी से स्पष्ट है कि वह सरकारी निर्देशों व न्यायालयों कद आदेशों की परवाह नहीं करता है। उन्होंने चेप्सली स्कूल से तत्काल प्लस वन की फीस बढ़ोतरी वापिस लेने की मांग की है नहीं तो इस स्कूल के खिलाफ मोर्चेबन्दी होगी।</p>
<p>उन्होंने प्रधान शिक्षा सचिव व शिक्षा निदेशक से पूछा है कि निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय के 18 मार्च के आदेशों की पालना नहीं कर रहे हैं। इस पर वह अपना पक्ष स्पष्ट करें। इस विषय पर कब शिक्षा विभाग कुम्भकर्णी नींद से जागेगा। क्या महज़ एक अधिसूचना जारी करके उनकी जिम्मेवारी खत्म हो गई या फिर उन पर कोई दवाब है जिस कारण वे इस अधिसूचना को धरातल पर लागू नहीं करवा पा रहे हैं। उन्होंने शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को चेताया है कि वह लचर कार्यप्रणाली बन्द करें व छात्रों तथा अभिभावकों को न्याय प्रदान करें।</p>
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