<p>सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार यानि 25 अगस्त को पूर्व सैनिक कोटे में नौकरी पाने वालों की सर्विस में सैन्य सेवाकाल जोड़े जाने के वरिष्ठता लाभ नियम को खारिज कर दिया है। शिमला हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीमकोर्ट ने बरकरार रखा है। पूर्व सैनिक कोटे के तहत सरकारी नौकरी में आने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को अभी तक कार्मिक विभाग के 1972 के नियमों के 5(1) के तहत राज्य सरकार की नौकरी में आने के बाद सीनियोरिटी, पेंशन और वेतन में लाभ मिलता था।</p>
<p>सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पूर्व सैनिक कोटे में वरिष्ठता लाभ केवल उन्हीं पूर्व सैनिकों को मिल सकता है, जिनकी भर्ती सेना में 1971 से पहले हुई है।</p>
<p>वहीं ये फैसला प्रदेश सरकार के लिए भी राहत भरा माना जा रहा है। मंत्रिमंडल ने 5 अगस्त को पूर्व सैंनिकों के लाभ को समाप्त कर दिया था। लेकिन, पूर्व सैनिकों के विरोध के चलते मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कैबिनेट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक रोक दिया था। फैसला आने से वर्ष 1972 से लागू नियम 5 (1) में पूर्व सैनिक कोटे के तहत ज्वाइनिंग पर उनकी वरिष्ठता में सैन्य सेवाओं जोड़ने का देय प्रावधान समाप्त हो जाएगा।</p>
<p>गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किए बिना मंत्रिमंडल के निर्णय का पूर्व सैनिकों ने विरोध किया। सीएम वीरभद्र सिंह ने पूर्व सैनिकों की मांग स्वीकारते हुए मंत्रिमंडल के फैसले पर रोक लगा दी थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद सरकार नियम 5 (1) को समाप्त करने के पूर्व में लिए निर्णय को प्रभावी कर सकती है।</p>
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