<p>एसएफआई ने एक बार फ़िर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय उपकुलपति के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। एसएफआई ने आरोप लगाया है कि विवि के उपकुलपति सिकंदर कुमार विश्वविद्यालय का भगवाकरण करने में लगे हुए हैं। एसएफआई ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का प्रशासनिक ढ़ांचा पूरी तरह से चरमरा गया है। इसके लिए कुलपति, विश्वविद्यालय प्रशासन और प्रदेश सरकार समान रूप से जिम्मेवार है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 50 वर्षों के इतिहास में पहली बार प्रशासनिक ढ़ांचा इतना चरमरा चुका है कि विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में सिकंदर कुमार ने शपथ ली तो उन्होंने पहला बयान यह दिया कि मैं आरएसएस की वजह से यहां तक पहुंचा हूं और ता उम्र इस विचार के लिए काम करूंगा। इस बात का सिकंदर साहब समय-समय पर खूबी सबूत भी देते रहते है। विश्वविद्यालय के डीन ऑफ स्टडीज अरविन्द कालिया भ्रष्टाचार में संलिप्त है।</p>
<p>एसएफआई के राज्य अध्यक्ष विक्रम कायथ ने बताया कि इक्डोल के निदेशक कुलवंत पठानिया 10 महीनों में पीएचडी करवाने का कारनामा कर चुके हैं। विश्वविद्यालय के कुलसचिव ऑउटसोर्स के माध्यम से विश्वविद्यालय में आरएसएस और बीजेपी के लोगों की भर्तियां करवाने में लीन है। प्रदेश के ज्यादातर कॉलेजों में प्रिंसिपल की कुर्सी पर ऐसे लोगो को बिठाया गया है जो अपने-अपने कॉलेज में एबीवीपी का काम प्रत्यक्ष रूप से कर रहे हैं। ऐसे लोगो का विश्वविद्यालय और कॉलेज के प्रशासन में होना यह दर्शाता है कि ये किस मंशा से इन पदों पर आसीन है। विश्वविद्यालय प्रशासन की बागड़ोर इस तरह के लोगों के हाथ में होने के कारण पिछले एक साल से विश्वविद्यालय का स्तर तेजी से गिरता जा रहा है। उनका आरोप है कि विवि में ऑनलाईन प्रणाली के खस्ताहालात है। विश्वविद्यालय के अधीन सभी कॉलेजों के छात्रों के हालात दयनीय बनी हुई है। विश्वविद्यालय में एबीवीपी को मिलता संघ-रक्षण मिल रहा है। विश्वविद्यालय और कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव न करवाना छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।</p>
<p>एसएफआई के राज्य अध्यक्ष ने कहा कि एसएफआई एचपीयू में व्याप्त इन तमाम समस्याओं, भ्रष्टाचार और नाइंसाफी के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत 29 जुलाई को कोटशेरा कॉलेज प्रिंसिपल पी. के. सलारिया की तानाशाही के खिलाफ कॉलेज में धरना प्रदर्शन और प्रिंसिपल का घेराव करके करेगी। 30 व 31 जुलाई को प्रदेश के तमाम कॉलेज और विश्वविद्यालयों में इन सभी मुद्दों को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा जिसे कुलपति तक पहुंचाया जाएगा। पहली अगस्त को हिमाचल के प्रत्येक कॉलेज और विश्वविद्यालयों में इन तमाम मुद्दों पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा। अगर प्रशासन फिर भी नहीं मानता है तो इस आंदोलन को और व्यापक व उग्र किया जाएगा जिसके ज़िम्मेदार कुलपति, प्रशासन और प्रदेश सरकार होंगे।</p>
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