पुलवामा हमले की तीसरी बरसी पर एसएफआई राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने डीसी शिमला कर्यालक के बाहर पुलवामा हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर एसएफआई ने विशाल प्रदर्शन के जरिए अर्धसैनिक बलों के विभिन्न मुद्दों को सरकार से समक्ष रखा।
SFI का मानना है कि हर शहीद पाकिस्तान की गोली खाकर ही नहीं मरता। कोई नक्सलियों का खात्मा करते हुए, कोई बाढ़ में लोगों को बचाते हुए, कोई कश्मीर में आतंकियों से निपटते हुए अपने प्राण गंवाता है। ड्यूटी पर दोनों रहते हैं। दोनों ने देश के लिए वर्दी पहनी है। लेकिन एक शहीद है दूसरा नहीं। क्योंकि एक थलसेना, नौसेना या वायुसेना से है। दूसरा सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी या ऐसी ही किसी फोर्स से जिसे पैरामिलिट्री कहते हैं। हमारी सरकार सेना के नाम पर केवल राजनीति कर सता पर काबिज होने तक सीमित है। जब सवाल सेनाओं की सुविधाओं या उनके परिवार को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने का आता है तो हमारी सरकारें अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटती नजर आई हैं।
SFI राज्य सचिव अमित ठाकुर ने कहा कि आप कश्मीर में सेना के साथ बीएसएफ और सीआरपीएफ भी मोर्चे पर बराबरी से लड़ते हैं। बात शहीद के दर्जे में भेदभाव की हो या फिर पेंशन, इलाज, सीएसडी कैंटीन या एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में बच्चों के एडमिशन की, जो सुविधाएं और सम्मान सैन्य बलों के हिस्से आता है, वह पैरामिलिट्री को नहीं दिया जाता। लाइन ऑफ ड्यूटी में अपने प्राण गंवाने वाला सेना, नौसेना या वायुसेना का जवान-अफसर शहीद कहलाता है, लेकिन पैरामिलिट्री का जवान आतंकी या नक्सली से लड़ते मारा जाए तो यह सिर्फ मौत होती है। SFI मांग करती है कि अर्द्धसैनिक बलों के सभी शहीद जवानों को शहीद का दर्जा दिया जाए।
शहादत के बाद सेना में परिवार वालों को राज्य सरकार में नौकरी में कोटा, एजुकेशन इंस्टीट्यूट में उनके बच्चों के लिए सीटें रिजर्व हैं। पैरामिलिट्री के लिए ऐसा कुछ नहीं है। जब से बाकी सरकारी कर्मचारियों की पेंशन बंद हुई है, तब से सीआरपीएफ-बीएसएफ जवानों की पेंशन भी बंद कर दी गई है। लेकिन थलसेना, नौसेना और वायुसेना में पेंशन सुविधा अभी भी उपलब्ध है। सेना में दो साल फील्ड पोस्टिंग या बॉर्डर एरिया पोस्टिंग होती है, जबकि ऐसा कुछ सीएपीएफ में नहीं है। एंट्री लेवल पर पैरामिलिट्री के जवानों को 21 हजार रुपए सैलरी मिलती है, जबकि डिफेंस फोर्सेस में 35 हजार।
आर्मी जवान को शुरूआत से ही मिलिट्री सर्विस पे के तौर पर 2,000 रुपए दिए जाते हैं, जबकि पैरामिलिट्री के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इसके अतिरिक्त SFI यह भी मांग करती है कि पुलवामा हमले में शहीद सभी सेना के जवानों से जो सरकार ने वायदे किए है उन्हें शीघ्र पूरा किया जाए।
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