वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि प्रदेश के भेड़ पालकों के चरान परमिटों को डिजिटाईज किया जाएगा। इसके लिए वन विभाग द्वारा दस्तावेज एकत्रित किए जा चुके हैं ताकि भेड़ पालक राज्य में कहीं भी अपना परमिट नवीनीकरण करवा सकें। यह बात उन्होंने धर्मशाला में चरान सलाहकार पुनर्वलोकन समिति की 48वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।
राकेश पठानिया ने कहा कि चरान परमिट के नवीनीकरण की अवधि तीन वर्ष से बढ़ाकर छह वर्ष कर दी गई है ताकि भेड़ पालकों को किसी भी तरह की असुविधा नहीं हो। चारागाह मार्गों को भी डिजिटाईज किया जा रहा है। पहले चरण में आठ चारागाह मार्गों का डिजिटाईजेशन का कार्य पूर्ण हो चुका है। इससे भेड़ पालकों को चारागाह मार्गों में किसी भी तरह की दिक्कत होने पर उनसे संपर्क करना आसान हो जाएगा।
वन मंत्री ने कहा कि चारागाह क्षेत्रों में लैंटाना प्रमुखता से हटाया जा रहा है और जंगलों में चारा प्रजाति के पौधों को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसके लिए कैंपा और अन्य विभिन्न योजनाओं के तहत बजट का प्रावधान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समिति की बैठक में निर्णय लिया गया है कि जिला चंबा, कांगड़ा के अधिकतर प्रयोग होने वाले आवागमन के रास्तों में तीन-तीन कुल स्थानों को चिह्न्ति करके एकीकृत विकास योजना के तहत डंपिंग टैंक, सरोवर एवं अस्थाई शैड की सुविधा आगामी तीन महीने के भीतर विकसित की जाएगी।
भेड़ पालकों की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नंबर होंगे स्थापित
पठानिया ने कहा कि भेड़ पालकों के भेड़, बकरियों के चोरी रोकने के लिए गंभीरता से कदम उठाए जा रहे हैं, पुलिस महानिदेशक ने सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं पशु चोरी की घटनाओं पर त्वरित पुलिस सहायता प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि भेड़ पालकों की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नंबर भी विभिन्न जिलों में स्थापित किए जाएंगे और इन नंबरों के बारे में सभी भेड़ पालकों को सूचित किया जाएगा ताकि आपदा की स्थिति में भेड़ पालकों को त्वरित सहायता प्रदान की जा सके।