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शिमला: विधायक निधि को रोकने पर बिफरा विपक्ष, हंगामे के बाद सदन से किया वॉकआउट

पी. चंद |

हिमाचल प्रदेश विधानसभा की कार्रवाई दिवंगत वरिष्ठ नेता मंसाराम के शोकोदगार के साथ शुरू हुई. करीब 1 घंटे तक चले शोकोदगार पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू व विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर सहित अन्य सदस्यों ने दिवंगत नेता के निधन पर शोक व्यक्त किया और अपनी संवेदनाएं प्रकट की.

जैसे ही शोकोदगार खत्म हुआ विपक्ष की तरफ से सदस्य विपिन परमार ने नियम 67 के तहत काम रोको प्रस्ताव में विधायक निधि खत्म करने को लेकर चर्चा का मामला उठाया.

उन्होंने कहा कि पिछली जय राम सरकार सरकार ने जो विधायकों के क्षेत्रों के विकास के लिए विधायक निधि का प्रावधान किया था. उसको सुखविंदर सरकार ने खत्म कर दिया है. इस पर चर्चा की जाए.

लेकिन सत्ता पक्ष की संसदीय मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा गया कि एक घंटा पहले ही विपक्ष की तरफ से प्रस्ताव दिया है. जिस पर व्यवस्था दी जायेगी. जिस पर विपक्ष ने हंगामा शुरू हो गया है.

उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा की जयराम सरकार हिमाचल पर 78 हजार करोड़ का कर्जा छोड़कर गई है. इसलिए विधायक निधि को बन्द किया गया है. इस पर दोनों तरफ से जोरदार बहस हुई और विपक्ष ने नारेबाज़ी शुरू कर दी.

विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने सदन में कहा की वीरभद्र सिंह की कांग्रेस सरकार 2017 में 48000 करोड का कर्जा छोड़ कर गई थी. भाजपा सरकार ने मात्र 20000 करोड का ही कर्जा लिया है जो कि 68 हजार करोड़ था. सरकार गलत आंकड़े पेश कर विपक्ष को बदनाम करने की कोशिश कर रही है.

इस पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने सदन में कहा की जय राम सरकार ने बिना बजट प्रावधान व स्टाफ़ के 920 संस्थान खोल दिए. सरकार ने विधायक निधि बन्द नही की है बल्कि रोकी है. वह इसलिए रोकी है की छठा वेतन आयोग लागू कर दिया पैसे का प्रावधान नहीं किया.

कर्मचारियों की करोड़ों की देन दरियाँ भाजपा सरकार छोड़ कर गई है. सबको मिलाकर 86 हज़ार करोड़ का कर्ज हो जायेगा. प्रदेश को उन्नति पर ले जाने व दिशा देने के लिए व्यवस्था परिवर्तन किया जा रहा है. प्रदेश कर्ज में डूबता जा रहा है. इस बीच विपक्ष हल्ला करता रहा ओर सदन से वॉकआउट कर गया.