दलितों पर हो रहे हमलों और केंद्र और प्रदेश की दलित विरोधी नीतियों के विरोध में 30 जनवरी को “दलित शोषण मुक्ति मंच” विरोध प्रदर्शन करेगा। शिमला से “दलित शोषण मुक्ति मंच” के जिला समन्वयक, ओम प्रकाश भारती ने बताया कि ये प्रदर्शन हिमाचल प्रदेश के सभी ब्लॉक पर होगा। साथ ही उन्होंने दलित मामलों पर कार्य कर रहे सभी संगठनों और व्यक्तिगत से इस आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया है।
दरअसल अभी हाल ही में कुल्लू जिला के बंजार में एक मेले के दौरान देवता के गुर के फूल उछालने पर जब फूल एक दलित युवक की गोद मे गिरा तो वहां उपस्थित तथाकथित उच्च जाति के लोगों ने दलित युवक पर ये कह कर हमला कर दिया कि देवता के फूल का किसी दलित के हाथों में गिरना अशुभ संकेत है। इस दलित युवक के अतिरिक्त उस मेले में उस युवक के साथियों को भी पीटा गया, “दलित शोषण मुक्ति मंच” इसका कड़ा विरोध करता है और सरकार औऱ प्रशासन से दोषियों के विरुद् कड़ी कार्रवाई की मांग करता है।
इसके पहले भी प्रदेश के विभिन्न जिलों में मध्यान भोजन में दलित शिक्षार्थियों के साथ भेदभाव और आंगनबाड़ियों में भेदभाव सामने आए हैं। जिस पर न तो सरकार ने और न ही प्रशासन ने कोई कड़े कदम उठाए।
पिछले सितंबर में सिरमौर के शिलाई क्षेत्र में अधिवक्ता औऱ आर टी आई कार्यकर्ता केदार जिन्दान की गाड़ी के नीचे कुचल कर हत्या कर दी गयी थी। हिमाचल की बीजेपी सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने रात रिज पर धरना पर बैठे जिन्दान परिवार को 20 लाख मुआवजा, दोनों बेटियों को मुफ्त शिक्षा और मृतक जिन्दान की पत्नी को सरकारी नौकरी देने की हामी भरी। परंतु आज 4 महीने बीत जाने के बाद भी कोई वायदा पूरा नहीं किया गया।
चौपाल के "रजत" की जातिगत द्वेष से की गई हत्या ने तो प्रदेश की बीजेपी सरकार के दलित विरोधी चेहरे की नकाब ही उतार दिया। मृतक रजत की माता क्षेत्र की महिला मोर्चा की नेता रही हैं बावजूद इसके रजत के कातिलों पर संतोषजनक कार्रवाई नहीं की गई।
सरकारों द्वारा दलित उत्पीड़न पर एफआईआर (FIR) को खत्म किया जा रहा है या उसे मुश्किल किया जा रहा ताकि एफ आई आर दर्ज ही न हो सके।
सरकारी नौकरियों में बैकलॉग को खत्म किया जा रहा है। “एन एफ एस” के नाम पर आरक्षण को खत्म किया जा रहा है। दलित छात्रों की छात्रवृति बन्द की जा रही है।
“दलित शोषण मुक्ति मंच” दलित मामलों पर कार्य कर रहे सभी संगठनों और व्यक्तिगत से आह्वान करता है कि वे सभी अपनी राजनैतिक विचारधार से ऊपर उठकर “दलित उत्पीड़न के खिलाफ” और “दलितों के हक में नीतियों को बनाये रखने” हेतु 30 जनवरी को ब्लॉक स्तर पर धरने में शामिल होकर इस आंदोलन को सुदृढ़ बनाएं।