हिमाचल

शिमला: फल मंडी बंद करने का विरोध, लेफ्ट ने सरकार से किए सवाल

शिमला : भारत की कम्युनिस्ट पार्टी शिमला जिला कमेटी ने सरकार के भट्टाकुफर स्थित फल मण्डी को बन्द करने के फैसले की कड़ी निंदा की है. मांग की गई है कि इस फल मण्डी के मरम्मत कार्य को सेब सीजन आरम्भ होने से पहले किया जाए और इस महत्वपूर्ण मण्डी को जल्द शुरू कर किसानों और बागवानों को राहत प्रदान की जाए.

सरकार ऐसी टर्मिनल मण्डियों को सुनियोजित तरीके से बन्द करने का निर्णय अदानी व अन्य कंपनियों के दबाव में आकर ले रही है ताकि वैकल्पिक कृषि, सब्जी व फल मण्डियों को समाप्त कर किसानों व बागवानों को अपना उत्पाद सस्ते दामों पर कंपनियों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़े और इनका मुनाफा बढ़े. अगर सरकार तुरन्त इस फल मण्डी की मरम्मत कर आरम्भ नही करती है तो पार्टी किसानों, बागवानों व अन्य संगठनों के साथ मिलकर इस मण्डी को सुचारू रूप से चलाने के लिए आंदोलन करेगी.

वर्ष 1994 में सरकार ने शिमला में वैकल्पिक सब्जी मण्डी के रूप में ढली मण्डी को विकसित करने का कार्य शुरू किया और यहाँ शिमला व इसके इर्दगिर्द के किसानों को सब्जी व अन्य उत्पाद बेचने की सुविधा उपलब्ध करवाई गई. सरकार ने इस मण्डी के विकास के लिए कई योजनाएं बनाई परन्तु इन्हें जमीनी स्तर पर नही उतारा गया. बावजूद इसके किसान जिसको प्रदेश से बाहर की मंडियों में अपना उत्पाद बेचना पड़ता था और उसे उचित दाम नही मिलते थे उनके लिए एक बेहतरीन विकल्प बना तथा किसानों ने इसको विकसित करने में पूर्ण सहयोग किया.

नब्बे के दशक में जब सेब बागवान को महसूस हुआ कि दिल्ली व देश की विभिन्न मंडियों में बागवानों से कमीशन व अन्य प्रकार की अवैध कटौती की जा रही है तो 1996 से ढली मण्डी प्रदेश की ऐसी पहली मण्डी बनी जिससे किसानों व बागवानों को दिल्ली व देश की विभिन्न मण्डियों में हो रही लूट व शोषण से कुछ हद तक निजात मिली. जैसे जैसे कारोबार बड़ा तो ढली मण्डी का विस्तार किया तथा भट्टाकुफर में फल मण्डी का विकास किया गया. किसानों व बागवानों ने इस मण्डी को अपनाया और आज इस मण्डी में शिमला, किन्नौर, कुल्लू व मण्डी जिला के किसान व बागवान अपने उत्पाद बेचने के लिए लाते हैं और प्रदेश की अग्रणी मण्डी के रूप में विकसित होकर इस मण्डी में प्रत्येक वर्ष करीब 400 से 500 करोड़ रुपए का कारोबार होता है.

किसानों व बागवानों के बढ़ते सहयोग से कारोबार में वृद्धि होने के फलस्वरूप आज शिमला किन्नौर कृषि मण्डी समिति के पास मार्किट फीस के रूप में 100 करोड़ रुपए के करीब जमा है। जोकि किसानों के हित मे मण्डियों व अन्य बुनियादी ढांचे व सुविधाओं पर खर्च करना पड़ता है।पार्टी मांग करती है कि इस पैसे से इस मण्डी के मुरम्मत कार्य को तुरन्त करवाया जाए तथा इस फल मण्डी को शीघ्र आरम्भ कर किसानों व बागवानों को राहत प्रदान की जाए.

सरकार प्रदेश में कृषि व बागवानी के विकास के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करना होगा. सरकार को प्रदेश में आधुनिक कृषि, सब्जी व फल मंडियों का विकास व विस्तार प्राथमिकता से करना होगा यदि सरकार प्रदेश में इन मण्डियों का विस्तार समय रहते नही करती तो इससे केवल अदानी व अन्य कॉरपोरेट घरानों व प्रदेश के बाहर के कारोबारियों को ही फायदा होगा तथा किसानों व बागवानों का शोषण व लूट बढ़ेगी. इसके साथ ही साथ प्रदेश के राजस्व में कमी होगी जिससे आर्थिकी पर भी दुष्प्रभाव पड़ेगा. इससे कृषि संकट बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

Balkrishan Singh

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