<p>शिमला जिले के सराहन क्षेत्र में विश्व के एकमात्र जाजुराना पक्षी प्रजनन केंद्र की ज़मीन पर कुछ स्थानीय प्रभावशाली लोगों द्वारा अतिक्रमण करने का मामला सामने आया है। जो कि केन्द्र के मानदंडों और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का सरेआम उल्लंघन हैं। हिमाचल प्रदेश दुनिया का एकमात्र राज्य है जो वेस्टन ट्रगोपैन की ब्रीडिंग कर रहा है। दाराघाटी अभयारण्य क्षेत्र का ये केंद्र समुद्र तल से लगभग 10 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। जिसको मुख्यतः वेस्टन ट्रगोपैन संरक्षण प्रजनन के लिए स्थापित किया गया है। लेकिन कुछ स्थानीय प्रभावशाली लोगों ने इस पर सड़क का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। ये निर्माण केन्द्र के मापदंडों के ख़िलाफ़ है क्योंकि प्रजनन केंद्र मानव बस्तियों से दूर होना चाहिए ये जरूरी मापदंड है। लेकिन प्रभावशाली लोग अपनी पहुंच का फायदा उठाकर इसके लिए खतरा बन गए है।</p>
<p>शिमला जिले में रामपुर के पास सराहन पश्चिम ट्रगोपैन तीतर मानव बस्ती से दूर स्थित है क्योंकि पक्षियों के प्रजनन में एकांत एक मुख्य मानदंडों में से एक है लेकिन अतिक्रमणकारियों द्वारा इन मापदंडों का सरेआम उल्लंघन किया जा रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि वन विभाग के अधिकारी उनके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय अतिक्रमणकारियों को बचा रहे हैं। लोगों का आरोप है कि अतिक्रमणकारियों ने इस केंद्र को नुकसान पहुंचाकर सड़क बनाई है। इन अतिक्रमणकारियों ने रामपुर के पास बदहाल इलाके में भी सैकड़ों पेड़ उखाड़कर सड़कें बनाई हैं।</p>
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<p>हिमाचल प्रदेश सरकार में वन मंत्री ने कहा कि मामला उनके ध्यान में लाया गया है और जो भी ये कर रहें है उनके खिलाफ शख़्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र एक संरक्षित जंगल है और विभाग की मदद के बिना ऐसी गतिविधियां संभव नहीं हैं। ऐसे में यदि वह विभाग के किसी अधिकारी की भी इसमें मिलीभक्त पाई गई तो उनको भी नही बख्सा जाएगा। यह पक्षी प्रजनन केंद्र में 52 पक्षी है साथ ही 6 पक्षियों को प्रजनन के बाद जंगल में छोड़ा गया है। इस केंद्र को बर्ष 1993 में स्थापित किया गया था। 2007 में जाजुराना पक्षी को हिमाचल के राज्य पक्षी की संज्ञा दी गई है। दुनिया भर में मात्र 4500 जाजुराना हैं। इनका संरक्षण और प्रजनन कहीं नहीं हो रहा है। ट्रेगोपेन फैमिली पक्षी है। दुनिया में पांच प्रकार के ट्रैगोपैन हैं। पश्चिमी हिमालय में वेस्टर्न ट्रेगोपेन पाया जाता है।</p>
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