<p>हिमाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों में लसोड़े की सब्ज़ी खाई जाती है। ये सब्ज़ी गर्मियों में ही पेड़ से मिलती है। हिमाचल की सब्ज़ी मंडियों में आजकल लसोड़े की सब्ज़ी नज़र आ रही है। लसोड़ा पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर होता है।भारत में इसे गोंदी और निसोरा के नाम से भी जाना जाता है। कच्चे लसोड़े की सब्ज़ी और आचार भी बनाया जाता है। इसके पेड़ की मुख्य रूप से दो किस्में होती है जिन्हें लमेड़ा और लसोड़ा कहते हैं। </p>
<p>इसका वानस्पतिक नाम कॉर्डिया मायक्सा है। लेकिन बदलते परिवेश में लसोड़ा लोगों की रसोई से दूर हो रहा है। लसोड़ा की लकड़ी बड़ी चिकनी और मजबूत होती है। लसोड़ा नम और सूखे जंगलों में बढ़ता है। इसके पेड़ हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि में पाए है। जंगल के अलावा लोग अपने खेतों के किनारे पर भी इसे तैयार करते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण इसके पेड़ लुप्त हो रहे हैं। औषधीय गुणों से भरपूर इस पेड़ पर संकट मंडरा रहा है। इस प्रजाति के पेड़ के संरक्षण व संबर्धन की जरूरत है।</p>
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