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शिमला में 13 अक्तूबर को नहीं चलेंगी निजी बसें, यात्रियों की मुश्किलें बढ़ेंगी

13 अक्तूबर को शिमला में निजी बसें नहीं चलेंगी
सरकारी नीतियों के खिलाफ बस ऑपरेटरों का विरोध प्रदर्शन
हड़ताल से यात्रियों को भारी परेशानी की आशंका



राजधानी शिमला में 13 अक्तूबर को आम जनता को यातायात संबंधी बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि निजी बस ऑपरेटरों ने इस दिन बसें न चलाने का फैसला लिया है। निजी बस ड्राइवर-कंडक्टर यूनियन ने यह कदम सरकार और परिवहन विभाग की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के रूप में उठाने की घोषणा की है।

बस ऑपरेटरों का कहना है कि वे अपनी जायज़ मांगों को लेकर लंबे समय से सरकार से संवाद करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला। उनका आरोप है कि सरकार एचआरटीसी बसों को बढ़ावा दे रही है, जबकि निजी बस सेवाओं को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।

यूनियन अध्यक्ष रूप लाल ठाकुर ने बताया कि डीज़ल की बढ़ती कीमतें, टैक्स का बोझ और रूट परमिट की असमानता ने बस मालिकों की हालत खराब कर दी है। उन्होंने मांग की कि 2011 की अधिसूचना को सख्ती से लागू किया जाए, जिसके तहत 40 किलोमीटर से अधिक दूरी से आने वाली बसों को शहर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उनका आरोप है कि प्रशासन और परिवहन विभाग इस नियम को लागू करवाने में नाकाम रहे हैं, जिससे शहर में यातायात जाम की स्थिति लगातार बनी हुई है।

वहीं, प्राइवेट बस परिचालक यशपाल ने कहा कि अगर सरकार ने उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया तो 13 अक्तूबर की हड़ताल को अनिश्चितकालीन आंदोलन में भी बदला जा सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि एचआरटीसी बसें नियमों की अवहेलना कर रही हैं — स्कूल बसों में आम सवारियां, वर्कशॉप जाने वाली बसों में यात्रियों को बैठाना, और बिना रूट परमिट के संचालन जैसी गतिविधियां खुलेआम चल रही हैं।

इस हड़ताल से शहर और आसपास के क्षेत्रोंढली, संजौली, टुटू, समरहिल, न्यू शिमला और शोघी — में रोजाना सफर करने वाले हज़ारों यात्रियों को दिक्कतें झेलनी पड़ेंगी। खासकर स्कूल, कॉलेज और दफ्तर जाने वाले लोगों को वैकल्पिक साधन तलाशने पड़ेंगे। फिलहाल, सरकार की ओर से इस मसले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या सरकार यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए आखिरी वक्त में कोई समाधान निकालती है या नहीं।