<p>कोविड महामारी की बदइंतज़ामी, उससे होने वाली मौतों और नॉन कोविड मरीजों के इलाज में लापरवाही को लेकर वरिष्ठ नागरिक समरहिल निवासी एवं हिमाचल प्रदेश स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन के शिमला जिला महासचिव डॉ संजोग भूषण ने स्वास्थ्य विभाग और प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कोविड और नॉन कोविड मरीजों की मौतों को लेकर स्वास्थ्य विभाग और प्रदेश सरकार को जिम्मेवार ठहराया।</p>
<p>उन्होंने कहा कि आईजीएमसी में नॉन कोविड मरीजों का उपयुक्त इलाज नहीं हो रहा है। कोविड मरीजों की स्थिति भी बहुत बुरी है। उन्होंने अपनी पत्नी का उदाहरण देकर समझाया कि उनकी पत्नी को 30 अक्तूबर को आईजीएमसी में भर्ती किया गया जहां एक दिन बाद 31 अक्तूबर को उनकी मृत्यु हो गयी। इन बारह घण्टों के दौरान उनका कोई उपचार नहीं किया गया। कोई भी सीनियर डॉक्टर उन्हें देखने नहीं आया। जब उन्हें टेस्ट के लिए ले जाया गया तो एक ही एम्बुलेंस में दो मरीजों को ठूंस दिया गया। उनकी रेपिड एंटीजन टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आई। </p>
<p>हालांकि उमकी मृत्यु के छः घण्टे के बाद उनकी कोविड रिपोर्ट नेगेटिव के बजाए पॉजिटिव बताई गई। जहां उन्हें भर्ती किया गया वहां पर ऑक्सीजन सिलिंडर काम नहीं कर रहा था। उनके लिए जरूरी स्टीम के लिए बिजली का प्लग भी काम नहीं कर रहा था। उनका एक्स रे, ईसीजी, अल्ट्रासाउंड कुछ भी नहीं किया गया। अस्पताल प्रबंधन का लचर रवैया साफ नज़र आया। इस कारण उनकी पत्नी की असामयिक मृत्यु हो गयी। इस तरह के उदाहरण आये दिन आईजीएमसी व दूसरे अस्पतालों में देखने को मिल रहे हैं। यह पूर्णतः संवेदनहीनता है। </p>
<p>उन्होंने मांग की है कि इस असामयिक मृत्यु, बदइंतज़ामी और संवेदनहीनता के लिए जिम्मेवार सरकार व प्रशानिक अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने चेताया कि अगर उन्हें न्याय न मिला तो वह मुख्यमंत्री आवास के बाहर भूख हड़ताल पर बैठने से भी गुरेज नहीं करेंगे।</p>
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