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शिमला: मोदी सरकार की मजदूर, किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ सीटू का प्रदर्शन

पी. चंद |

सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच व किसान संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर सीटू व हिमाचल किसान सभा ने मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों, तीन कृषि कानूनों, कृषि के निगमीकरण, बिजली विधेयक 2020, सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण आदि के खिलाफ प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किए। सीटू व हिमाचल किसान सभा ने केंद्र सरकार से मजदूर, किसान व कर्मचारी विरोधी नीतियों पर रोक लगाने की मांग की है। सीटू ने ऐलान किया है कि 28 मार्च को मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों तथा कर्मचारी व जनता विरोधी बिजली विधेयक 2020 की प्रतियों को जलाकर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आक्रोश ज़ाहिर किया जाएगा। शिमला के उपायुक्त कार्यालय पर मजदूरों व किसानों द्वारा जोरदार प्रदर्शन किया गया।

सीटू जिला सचिव बाबू राम ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह पूंजीपतियों के साथ खड़ी हो गयी है व आर्थिक संसाधनों को आम जनता से छीनकर अमीरों के हवाले करने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। मजदूर विरोधी चार लेबर कोड, तीन कृषि कानून, कृषि का निगमीकरण, बिजली विधेयक 2020 व सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से ही किए जा रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि हालिया बजट में बैंक, बीमा,रेलवे, एयरपोर्टों, बंदरगाहों, ट्रांसपोर्ट, गैस पाइप लाइन, बिजली, सरकारी कम्पनियों के गोदाम व खाली जमीन,सड़कों,स्टेडियम सहित ज़्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करके बेचने का रास्ता खोल दिया गया है। ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के नारे की आड़ में मजदूर विरोधी लेबर कोडों को अमलीजामा पहनाया गया है। इस से केवल पूंजीपतियों,उद्योगपतियों व कॉरपोरेट घरानों को फायदा होने वाला है। इस से 70 प्रतिशत उद्योग व 74 प्रतिशत मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। खेती को कॉरपोरेट कम्पनियों व पूंजीपतियों के हवाले करने के दृष्टिकोण से ही किसान विरोधी तीन कृषि कानून लाए गए हैं।