<p>शिमला की जुन्गा पंचायत के जंगल में सदियों पुराना देवदार का पेड़ है जिसे भालू वाला पेड़ के नाम से जाना जाता है। ऐसे ही इस पेड़ को भालू वाला पेड़ नहीं कहा जाता है बल्कि पेड़ पर बाकायदा भालू की आकृति बनी हुई है।</p>
<p>माना जाता है कि सैंकड़ों साल पहले एक आदमख़ोर भालू किसी स्थानीय व्यक्ति के पीछे हमला करने के लिए पड़ गया। डर के मारे जान बचाने के लिए व्यक्ति इस पेड़ पर चढ़ गया। भालू भी उसके पीछे पेड़ पर चढ़ने लगा। अपनी जान को ख़तरे में पड़ते देख उस व्यक्ति ने पथरी माता (पुराना जुन्गा में स्थित पथरी माता मंदिर) से प्रार्थना की। व्यक्ति की पुकार सुनकर भालू जो कि आधे पेड़ पर चढ़ गया था लकड़ी के रूप में तब्दील हो गया।</p>
<p>सदियों से जीवित ये पेड़ और उस पर चिपका लकड़ी का भालू आज भी सदियों पुरानी इस कहानी को व्यान करता है। ये पेड़ आज भी स्थानीय लोगों के आकर्षण का केन्द्र है और पथरी माता पर लोगों की गूढ़ आस्था है।</p>
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