हमीरपुर: प्रदेश पूर्व में सभी हिमाचल वासियों के प्रयास और सहयोग से पॉलिथीन और प्लास्टिक मुक्त हुआ था। आज क्या स्थिति है यह चिंतन का विषय है। विश्व पर्यावरण दिवस पर वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए यह बात कही है। उन्होंने कहा कि इस्तेमाल में आने के बाद पॉलिथीन और प्लास्टिक उचित तरीके से डिस्पोज न हो पाने की वजह से वातावरण को दूषित करने का प्रमुख कारण बनते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृढ़ संकल्पित स्वच्छता अभियान को सफल बनाने के लिए पर्यावरण सरक्षंण भी महत्वपूर्ण है और पर्यावरण को दूषित करने वाली इस वजह को खत्म करना अत्यंत आवश्यक है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण को सरंक्षित करने की दिशा में प्लास्टिक बैन करने वाले देश के पहले राज्य का गौरव हिमाचल प्रदेश के नाम है। सिंगल यूज प्लास्टिक और रिसाईकिल्ड पॉलिथीन बैग के कचरे के कारण पर्यावरण में हो रहे प्रदूषण के खतरे को भांपते हुए प्रदेश में पर्यावरण के संरक्षण को हमने इस सदी के प्रारंभ में प्रयास शुरू किए थे और बाद में लगातार इस दिशा में अनेकों कदम उठाए, जिनमें की पौधारोपण अभियान चलाना और प्लास्टिक व पॉलीथिन को बैन करना शामिल था। पौधरोपण अभियान चलाकर पूरे प्रदेश में कवर्ड एरिया बढ़ाया था और प्लास्टिक पॉलिथीन के उपयोग पर बैन लगा कर पूरे प्रदेश को प्लास्टिक मुक्त किया था। जिसके लिए विश्व भर में सराहना मिली और विश्व बैंक से हरित विकास के नाम पर बहुत सहायता भी मिली। एशिया में पहला प्रदेश हिमाचल प्रदेश बना जिसको कार्बन क्रेडिट प्राप्त हुआ था।
धूमल ने कहा कि अन्य दैनिक उपभोग की वस्तुएं जो प्लास्टिक की पैकिंग में आती थी, उन से उपजे प्लास्टिक के कचरे को यहां वहां ना फैंक कर, बल्कि उसका इस्तेमाल कर उसके दुष्प्रभावों से पर्यावरण को बचाने की योजना हिमाचल प्रदेश सरकार ने तब बनाई थी। योजना के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में घर घर से प्लास्टिक का कचरा पंचायत को बेचा जाना था, जिसको आगे पंचायत पीडब्ल्यू विभाग को बेचती और पी डब्ल्यू विभाग उस प्लास्टिक को सड़क निर्माण कार्य में उपयोग में लाना था। इसके लिए प्रदेश में पीडब्ल्यूडी विभाग के हर डिवीजन को श्रेडर मशीन उपलब्ध करवाई गई और इस योजना पर काम भी हुआ। फल स्वरूप सड़क निर्माण में आने वाली लागत में तीस हज़ार से चालीस हज़ार रुपये प्रति किलोमीटर की कमी आई थी।
इस योजना के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार की प्रशंसा करते हुए प्रशस्ति पत्र और पांच लाख रुपए अवार्ड के रूप में प्रदेश को दिए थे। बाद में कई गैर सरकारी संगठनों ने भी इस काम में सहयोग किया था और प्रदेश को कार्बन न्यूट्रल बनाने के उद्देश्य से पौधारोपण अभियान व कार्बन एमिशन को कम करने के लिए बहुत काम किया गया था। पौधारोपण अभियान में भूतपूर्व सैनिकों की इको टास्क फोर्स का भी सहयोग लिया गया था। पूर्व मुख्यमंत्री ने आह्वान किया कि विश्व पर्यावरण दिवस पर हम मिलकर यह संकल्प लें कि प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान को सफल बनाएँगे और हिमाचल प्रदेश को फिर पॉलिथीन एवं प्लास्टिक मुक्त बनाएंगे।
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